रूस न तो डरेगा न झुकेगा, गद्दारों को बख्शेंगे नहीं… राष्ट्रपति चुनाव में महाविजय के बाद व्लादिमीर पुतिन का दुनिया को संदेश

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रिकॉर्ड बहुमत से राष्ट्रपति बन गए हैं. पुतिन की जीत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 15 से 17 मार्च तक हुई वोटिंग में पुतिन को लगभग 88 प्रतिशत वोट मिले. सोचिए कैसे पुतिन की जीत के प्रचंड वजन की वजह से सियासी विरोधी नाममात्र के ही दिखे. दूसरे उम्मीदवारों की बात करें तो निकोले खारितोनोव को सिर्फ 4 प्रतिशत वोट मिले. बाकी का तो पूछिए ही मत.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ये नतीजे बहुत मायने रखते हैं. एक तरफ ये पुतिन के लिए 88 प्रतिशत वोट वाली जीत है जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन या फिर दूसरे पश्चिमी देशों के लिए ये शत प्रतिशत चिंता का विषय है. हालांकि इस जीत से ज्यादा चौंकाने वाले और कई देशों की चिंता बढ़ाने वाले पुतिन के वो बयान हैं, जो उन्होंने महाविजय के बाद दिए.

गद्दारों को बिल्कुल नहीं बख्शेंगे: पुतिन

इसमें पश्चिम देशों को खुली चेतावनी भी है और विश्व युद्ध वाली चिंगारियां भी. पुतिन ने कहा कि रूस और नाटो के बीच सीधा टकराव तीसरे विश्व युद्ध की तरफ पहला कदम होगा. कड़े तेवर दिखाते हुए पुतिन ने ये साफ-साफ कह दिया कि रूस न तो डरेगा न झुकेगा. सबसे खतरनाक संकेत पुतिन की इस बात में हैं कि रूस में हथियार उत्पादन और तेज होगा. पुतिन ने ये भी कहा कि गद्दारों को बिल्कुल नहीं बख्शेंगे. पुतिन के एक और बयान के बड़े संकेत है जिसमें उन्होंने कहा कि चीन के साथ संबंध और भी बेहतर करेंगे.

पिछले कुछ वर्षों में आप देखेंगे तो ये जानेंगे कि रूस में कैसे पुतिन की जीत वाली गारंटी चलती है. रूस में वही होता है जो पुतिन चाहते हैं. चाहे युद्ध जैसे फैसलों में हो या फिर चुनावों में. ये एक बार फिर साबित भी हो गया है. रूस में पुतिन राज की पूरी कहानी आज आपको बताते हैं.

2000 में पहली बार राष्ट्रपति बने थे पुतिन

आज से 24 साल पहले साल 2000 में पहली बार पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने थे. साल 2000 से 2008 तक वो राष्ट्रपति रहे. इसके 4 साल बाद वर्ष 2012 में पुतिन ने जीत हासिल की और फिर सत्ता में लौटे. तब से लेकर अब तक एक के बाद एक प्रचंड जीत के साथ पुतिन राष्ट्रपति बने हुए हैं. आपको बताते हैं कैसे साल दर साल पुतिन की सत्ता रूस में मजबूत होती गई.

 

साल 2000 में पुतिन को 53.4 प्रतिशत वोट मिले थे

इसके बाद साल 2004 में 71.9 प्रतिशत वोट के साथ वो राष्ट्रपति चुने गए

साल 2012 में 63.6 प्रतिशत वोट के साथ वो राष्ट्रपति बने

साल 2018 में 76.66 प्रतिशत वोट के साथ पुतिन को रूस की सत्ता मिली

अब साल 2024 में 88 प्रतिशत वोट के साथ वो राष्ट्रपति चुनाव जीत गए हैं

संविधान में संशोधन भी कर दिया

सत्ता के लिए रूस के संविधान में जो संशोधन हुआ उसे भी जान लेते हैं. रूस के संविधान में लिखा था कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है. यही वजह है साल 2008 तक दो टर्म राष्ट्रपति रहने के बाद पुतिन ने अपने पीएम दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया था और खुद पीएम बन गए थे.

इसके बाद नवंबर 2008 में दिमित्री मेदवेदेव ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया. इसके बाद जनवरी 2020 में पुतिन ने संविधान संशोधन के जरिए दो टर्म तक राष्ट्रपति रहने की सीमा भी खत्म कर दी थी.

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