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सचिन तेंदुलकर का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर

साल 1989 में, सचिन तेंदुलकर को पाकिस्तान दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल किया गया. 16 साल 205 दिन की उम्र में, सचिन 15 नवंबर 1989 को कराची में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करते हुए भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट क्रिकेटर बन गए. जिसमें वह 15 रन बनाकर वकार यूनुस की गेंद पर बोल्ड हुए थे. इसके बाद सचिन ने 18 दिसंबर 1989 को गुजरांवाला में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे डेब्यू किया था. उस मैच में सचिन वकार की गेंद पर शून्य पर आउट हो गए थे.

हालांकि, सचिन ने 14 अगस्त 1990 को ओल्ड ट्रैफर्ड, मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक जड़कर अपनी टीम को हार से बचाया और टेस्ट शतक बनाने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए. इसके बाद उन्होंने 1992 के विश्व कप से पहले सिडनी में तेज और उछाल भरी पिच पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 148 रन की पारी खेली और ऑस्ट्रेलिया में शतक लगाने वाले सबसे युवा क्रिकेटर बन गए. इसी के साथ उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

1994 में सचिन ने कोलंबो, श्रीलंका में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 78 मैचों के बाद अपना पहला एकदिवसीय शतक बनाया. 1996 विश्व कप में सचिन 523 रनों के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे. 1996 में अज़हरुद्दीन के बाद सचिन को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया. हालांकि, एक कप्तान के रूप में वह काफी असफल रहे. टेस्ट और वनडे में कप्तान के रूप में उनका जीत प्रतिशत क्रमशः 16% और 31% का खराब रिकॉर्ड था. करीब ढेड़ साल बाद 1998 में सचिन ने कप्तानी छोड़ दी.

2003 विश्व कप में सचिन ने भारत को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, फाइनल में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से हार गई, लेकिन वह प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए. लेकिन 2004 में टेनिस एल्बो की समस्या के कारण उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा. सर्जरी के बाद वह लगभग अवसाद में चले गए थे और उन्हें लगा था कि वह फिर कभी क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे. लेकिन उन्होंने वापसी की और दिसंबर 2005 में इतिहास रचा दिया, जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच में रिकॉर्ड 35वां शतक बनाया. उन्होंने कुल 125 टेस्ट में यह उपलब्धि हासिल की और ‘लिटिल मास्टर’ सुनील गावस्कर को पीछे छोड़ दिया.

1 दिसंबर 2006 को, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन ने अपने करियर का एकमात्र टी20 इंटरनेशनल मैच खेला था. जिसमें वह सिर्फ 10 रन बनाकर आउट हुए थे. जून 2007 में, सचिन ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की, जब वनडे अंतर्राष्ट्रीय में 15,000 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने. 2010 में सचिन ने पहली बार वनडे क्रिकेट में 200 रन का ऐतिहासिक आंकड़ा पार किया और एकदिवसीय मैच की एक पारी में दोहरा शतक बनाने का रिकॉर्ड बनाने वाले इतिहास के पहले व्यक्ति बन गए. उन्हें 2010 आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर नामित किया गया था.

सचिन तेंदुलकर 2011 विश्व कप के विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे. इस टूर्नामेंट में वह भारत के लिए 53.55 की औसत से 482 रन बनाकर अग्रणी रन स्कोरर बने और इस जीत के बाद वह अपने आंसू नहीं रोक सके. क्योंकि यह उनके करियर के 6 वर्ल्ड कप में पहली बार था, जब उन्होंने कप उठाया था. फिर मार्च 2012 में बांग्लादेश के खिलाफ एक वनडे मैच में, सचिन ने अपना रिकॉर्ड 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक बनाया. जिसमें टेस्ट (51 शतक) और वनडे (49 शतक) दोनों प्रारूप शामिल थे. वह ऐसा करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र क्रिकेटर बने.

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