13,000 करोड़ की बिकवाली, 5 कंपनियों को 1.67 लाख करोड़ का नुकसान

निफ्टी के 22,000 के रिकॉर्ड हाई स्तर को छूने के बाद मुनाफावसूली हावी होने से शेयर बाजार में गिरावट आई. हालांकि, निफ्टी के 21,300 के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद मार्केट में फिर से खरीदारी लौटी.

इस बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने के पहले 3 सप्ताह में अबतक काफी सतर्क रुख अपनाते हुए भारतीय शेयर बाजारों से 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. भारतीय शेयरों के हाई वैल्युएशन और अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड बढ़ने की वजह से एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं.

वहीं, बाजार में हुई इस बिकवाली के चलते सेंसेक्स की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से 5 के बाजार मूल्यांकन पिछले सप्ताह सामूहिक रूप से 1,67,936.21 करोड़ की गिरावट आई. इनमें सबसे अधिक नुकसान एचडीएफसी बैंक को हुआ. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,144.8 अंक 1.57 प्रतिशत नीचे आया.

बड़ी तेजी के बाद बिकवाली

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशक लोन या बॉन्ड बाजार को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने समीक्षाधीन अवधि में बॉन्ड बाजार में 15,647 करोड़ रुपये डाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (19 जनवरी तक) में भारतीय शेयरों से 13,047 करोड़ रुपये की निकासी की है. उन्होंने 17-19 जनवरी के दौरान 24,000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे.

इससे पहले दिसंबर में एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 66,134 करोड़ रुपये और नवंबर में 9,000 करोड़ रुपये डाले थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ”एफपीआई की बिकवाली के दो कारण हैं, पहला अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ रहा है. 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड 3.9 प्रतिशत के हालिया स्तर से बढ़कर 4.15 प्रतिशत हो गया है, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी निकासी हो रही है.” उन्होंने कहा कि दूसरी वजह भारत में शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन है. एफपीआई एचडीएफसी बैंक के उम्मीद से कमजोर नतीजों का हवाला देकर बड़े पैमाने पर बिकवाली कर रहे हैं.

 

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