संदीप पांडेय ने 21 साल बाद मैग्सेसे अवॉर्ड लौटाने का क्यों लिया फ़ैसला

साथ ही उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालयों से हासिल की गई डिग्रियां भी लौटाने की घोषणा की है

उन्होंने यह क़दम इसराइल-फ़लस्तीन संघर्ष में अमेरिका की भूमिका के चलते उठाया है.

लेकिन संदीप पांडेय की घोषणा को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं कि उन्होंने रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड वापस करने के लिए यही वक्त क्यों चुना?

क्या जब उन्हें यह अवॉर्ड दिया जा रहा था तब उन्हें नहीं पता था कि इस अवॉर्ड को अमेरिकी संस्था के सहयोग से दिया जाता है, उस वक़्त उन्होंने इस अवॉर्ड को क्यों नहीं वापस किया?

उन्होंने इन सवालों के जवाब में कहा, “इस अवॉर्ड को वापस करने का मन तो कुछ समय पहले बना चुका था लेकिन मैं ये ज़रूर कहूंगा कि इस ठोस निर्णय को लेने में मुझे महिला पहलवानों से प्रेरणा मिली. उनके सामने एक बहुत शक्तिशाली आदमी है जो सत्ता पक्ष से जुड़ा है. इसके बावजूद जब विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने उसके ख़िलाफ़ निर्णय लिया और फुटपाथ पर जाकर अपने मेडल रख दिए तो मुझे उनकी बहादुरी ने प्रेरित किया.”

संदीप पांडेय ने अवॉर्ड वापसी की घोषणा की मुख्य वजह के बारे में बताया, “वर्तमान में अमेरिका फ़लस्तीन के ख़िलाफ़ युद्ध में बेशर्मी से खुलकर इसराइल का साथ दे रहा है और अभी भी इसराइल को हथियार बेच रहा है. ऐसे में मेरे लिए यह असहनीय हो गया है कि मैं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार रखूं, इसलिए इसे लौटाने का फैसला लिया है.”

दरअसल मैग्सेसे पुरस्कार रॉकफेलर फ़ाउंडेशन और फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से प्रायोजित होते हैं और ये दोनों अमेरिकी संस्थाए हैं.

 

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