तेल के खेल से सऊदी अरब का किनारा, प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दुनिया को दिया झटका

सऊदी अरब ने 2027 तक अपनी तेल उत्पादन क्षमता को 8 प्रतिशत बढ़ाकर 13 मिलियन बैरल प्रति दिन करने की योजना को छोड़ दिया है। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद के इस अप्रत्याशित निर्णय ने भविष्य की तेल मांग पर सऊदी अरब के दृष्टिकोण के बारे में अटकलों को तेज कर दिया है। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको की घोषणा ने इस बात पर चर्चा तेज कर दी है कि क्या कम कार्बन ऊर्जा की ओर वैश्विक बदलाव के बीच रियाद तेल के खपत के बादे में अधिक उत्साहित नहीं दिख रहा है।

सऊदी अरब इतना परेशान क्यों

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी अरब तेल के भविष्य को लेकर चिंतित है। इसका क अन्य महत्वपूर्ण कारक प्रतिद्वंद्वी तेल उत्पादकों, विशेष रूप से अमेरिकी शेल से प्रतिस्पर्धा है। उत्पादन योजनाओं में बदलाव के संबंध में सऊदी अरामको की ओर से विस्तृत स्पष्टीकरण की कमी ने तेल उद्योग के भीतर अटकलों को जन्म दिया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रियाद का निर्णय तेल उत्पादन को बढ़ाने की योजना को हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में डालना नहीं है। वह सिर्फ आने वाले वर्षों में तेल की मांग में संभावित कमी की आशंका के कारण चिंतित है।

अमेरिकी शेल के उत्पादन ने बढ़ाई चिंता

रैपिडन एनर्जी ग्रुप के अध्यक्ष बॉब मैकनेली का सुझाव है कि रियाद ओपेक+ गठबंधन के बाहर बढ़ी हुई आपूर्ति से उत्पन्न चुनौतियों का जवाब दे रहा है, जो बदलते बाजार की गतिशीलता के अनुकूल एक रणनीतिक कदम का संकेत है। प्रतिद्वंद्वी आपूर्तिकर्ताओं, विशेष रूप से अमेरिकी शेल के उत्पादन में वृद्धि, सऊदी अरब और उसके ओपेक+ सहयोगियों के लिए लगातार चिंता का विषय रही है।

वैश्विक तेल बाजारों पर गहरा असर

लगभग एक दशक पहले शुरू हुई शेल तेल क्रांति का वैश्विक तेल बाजारों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आई। COVID-19 महामारी के दौरान शेल ड्रिलर्स के पीछे हटने के बावजूद, उन्होंने हाल के वर्षों में वापसी की है, जिससे प्रति दिन 13 मिलियन बैरल से अधिक का रिकॉर्ड-तोड़ उत्पादन हुआ है। इनमें से अधिकतर उत्पादन अमेरिका में हुआ है। सऊदी अरब का निर्णय वैश्विक तेल बाजार के रुझान से जुड़ा हुआ है, घरेलू कारक भी इसमें भूमिका निभा रहे हैं।

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