कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारियों को पर्मानेंट कमीशन न देने पर SC ने सरकार को खूब हड़काया

भारतीय कोस्ट गार्ड में महिलाओं को पर्मानेंट कमीशन न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं करती है तो न्यायपालिका को मजबूरन कदम उठाना पड़ेगा.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि अगर सरकार की तरफ से जरूरी कार्रवाई नहीं की गई, तो कोस्ट गार्ड में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इंडिया टुडे की कनु शारदा की रिपोर्ट के मुताबिक CJI ने केंद्र से कहा-

अगर आप नहीं करेंगे तो हम कर देंगे. इसलिए ध्यान दीजिए इस पर.

केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट से कहा कि “तटरक्षक बल सेना और नौसेना से थोड़ा अलग तरीके से” काम करता है. जिस पर, मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि कार्यक्षमता के तर्क महिलाओं को बाहर करने के लिए वैध बहाना नहीं हैं. उन्होंने कहा,

“ये कार्यक्षमता जैसे तर्क 2024 में मायने नहीं रखते. महिलाओं को इस तरह बाहर नहीं किया जा सकता.”

कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है और अगली सुनवाई 1 मार्च के लिए तय की है. इससे पहले 19 फरवरी को भी सुनवाई के दौरान CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सख्त टिप्पणी की थी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबित कोर्ट ने कहा था-

कोस्ट गार्ड का यह कैसा पितृसत्तात्मक रवैया है? आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में क्यों नहीं चाहते? महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो समुद्र तट की भी रक्षा कर सकती हैं.

20 फरवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा- आप नारीशक्ति की बात करते हैं न, तो करके दिखाई अब. कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि जब सेना और नौसेना ये काम कर चुके हैं तो तटरक्षक बल यह कह सकता है कि तो वे लीक से बाहर रहेंगे.

दरअसल, कोस्ट गार्ड की एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी प्रियंका त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिन्हें त्रुटिहीन रिकॉर्ड के साथ 14 साल की सेवा के बाद भी पर्मानेंट कमीशन के अवसर से वंचित कर दिया गया था.

महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि उन्होंने पुरुष और महिला सहित सभी रक्षा बलों में सीनियॉरिटी के हिसाब से सबसे ज्यादा घंटे उड़ान भरी हैं जो कि एक रिकॉर्ड है. उन्होंने डोर्नियर विमान पर 4500 घंटे उड़ान भरी है और 300 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. बावजूद इसके उन्हें पर्मानेंट कमीशन का अवसर नहीं दिया गया.

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