SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल

Creamy Layer In SC-ST Reservation Row: सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों के संविधान पीठ ने राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार दिए जाने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दाखिल की है. संविधान पीठ ने 1 अगस्त को एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू करने का फैसला सुनाया था.
संविधान पीठ ने फैसले में कहा था कि ‘राज्य सरकार शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण देने के लिए एससी-एसटी का उप-वर्गीकरण कर सकती है. हालांकि, कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध भी देखने को मिला. वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी एक आब्जर्वेशन है, निर्देश नहीं है.
6-1 के बहुमत से फैसले को किया गया था पारित
सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दो बार के सांसद और तमिलनाडु के राजनीतिक दल विदुथलाई चिरुथैगल काची के अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने दाखिल की है. फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ के फैसले में कानूनी तौर कर कई गंभीर और स्पष्ट त्रुटियां है. इसे सुधार करने की जरूरत है.
याचिका में कहा गया है कि फैसले में समग्र अनुसूचित जाति कोटे के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित की जा सकने वाली सीटों की संख्या पर ऊपरी सीमा निर्धारित करने में विफल रहने के कारण त्रुटि हुई. संविधान पीठ ने 1 अगस्त को 6-1 के बहुमत से इस फैसले को पारित किया था. संविधान पीठ ने 2004 के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि राज्यों को एसएसी/एसटी का उपवर्गीकरण करने का हक है.
2004 के फैसले को रद्द करते हुए दिया गया था फैसला
संविधान पीठ ने बहुमत से पारित फैसले में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले में 5 जजों की पीठ के 2004 के फैसले को रद्द करते हुए यह फैसला दिया था. इसमें कहा गया था कि संविधान में एससी-एसटी को एकल सजातीय समूह है, ऐसे में राज्य सरकार उनका उप वर्गीकरण नहीं कर सकती है. वहीं, 2004 के फैसले को रद्द करते हुए कहा पीठ ने कहा कि राज्यों को इसके उपवर्गीकरण करने का अधिकार है.
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संविधान पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा ने एकमत से माना कि ‘राज्य सरकार को आरक्षण का लाभ देने के लिए एससी-एसटी को उप वर्गीकरण करने का अधिकार है.’ हालांकि संविधान पीठ में शामिल जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बहुमत के फैसले से अलग राय जाहिर की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को एससी-एसटी को उप वर्गीकरण करने का अधिकार नहीं है.

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