वैज्ञानिकों को मिली नई गैलेक्सी, वह भी बिना तारों की, खोज भी हुई अजीब तरीके से
ब्रह्माण्ड में कई बार वैज्ञानिकों को ऐसी चीजें दिख जाती हैं जो उनका पूर्व ज्ञान को चुनौती देने लगते हैं. जब भी वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड में या अंतरिक्ष में कोई अजीब चीज देखते हैं. तो वे पहले अपनी उपलब्ध जानकारी के आधार पर उसकी व्याख्या करने की कोशिश करते हैं और फिर उसकी जांच कर अपने नतीजों की पुष्टि करने की कोशिश करते हैं. पर कई बार कुछ खोज ज्यादा ही हैरान कर देती हैं. ऐसी ही खोज में खगोलविदों को ऐसी गैलेक्सी के बारे में पता चला है जिसमें एक भी तारा नहीं है.
वैज्ञानिकों को यह अजीब गैलेकसी पृथ्वी 27 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और इसका नाम वैज्ञानिकों ने J0613+52 दिया है. और यह गैलेक्सी की परंपरागत परिभाषा को ही चुनौती देती दिख रही है क्योंकि इस गैलेक्सी में कोई भी तारा नहीं हैया फिर कम से कम उसमें एक भी दिखाई ही नहीं दे रहा है.
तो फिर यह गैलेक्सी क्यों है. इसका जवाब यह है कि इस विशाल पिंड में अंतरतारकीय गैस भरी पड़ी है यानी कि यह गैलेक्सी खाली बिलकुल नहीं है, बस इसमें तारे जैसे पिंड मौजूद नहीं है वहीं अगर किसी गैलेक्सी में तारों को हटा दें, तो इसका भी बर्ताव एक गैलेक्सी की तरह ही है ।
ग्रीन बैंक वेधशाल के खगोलभौतिकविद कैरेन ओ नील की अगुआई में शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि यह पहली ऐसी गैलेक्सी है जो ज्ञात ब्रह्माण्ड में खोजी गई है और यह प्रिमोरिडियल गैलेक्सी है. यह गैलेकसी अधिकांश तौर से गैसों से बनी होती है और यह ब्रह्माण्ड की शुरुआती समय में बनी होगी.
इसकी खोज भी अजीब तरह से ही हुई. ग्रीन बैंक टेलीस्कोप जब बिना किसी इरादे के एक अलग ही दिशा में देखने लगा था तो संयोगवश इसकी खोज हो गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि तारे यहां हो सकते हैं, हो सकता है हम देख नहीं पा रहे हैं. वेधशाला कम चमक वाली गैलेक्सी खोज रही थी लेकिन कुछ गलत टाइप होने से टेलीस्कोप की दिशा बदली और वैज्ञानिकों के ये गैलेक्सी दिख गई.