वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन का निधन, इमरजेंसी से लेकर कॉलेजियम तक का कर चुके थे विरोध

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फाली एस नरीमन ( Fali S Nariman) का 21 फरवरी को नई दिल्ली में निधन हो गया. वो 95 साल के थे. उन्होंने 70 से ज्यादा साल तक कानूनविद के तौर पर काम किया. उनके निधन पर सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने श्रद्धांजलि अर्पित की है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें याद करते हुए एक लिविंग लेजेंड बताया है. उन्होंने X पोस्ट कर लिखा,

‘उन्होंने कहा था कि इंसानों की गलती पर हॉर्स ट्रेडिंग वाक्य का इस्तेमाल घोड़ों का अपमान है, जो बहुत वफादार जानवर हैं. वो इतिहास के गूढ़ रहस्य खोज निकालते थे और बोलते समय अपनी बुद्धि से उन्हें अतुलनीय ढंग से जोड़ते थे.’

वहीं सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी उनके निधन पर श्रद्धांजलि देते उन्हें देश का महान सपूत बताया. सिब्बल ने X पोस्ट किया,

नरीमन न केवल हमारे देश के सबसे महान वकीलों में से एक थे, बल्कि वह बेहतरीन इंसान भी थे. वे सबके लिए एक महान व्यक्ति की तरह खड़े रहते थे. उनके बिना कोर्ट के गलियारे कभी भी पहले जैसे नहीं रहेंगे. उसकी आत्मा को शांति मिलें.’

विद्रोही स्वभाव के लिए मशहूर

फाली एस नरीमन ने वकील के तौर पर करियर की शुरुआत नवंबर 1950 में की थी. 1961 में सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया गया था. नरीमन को जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. फाली सैम नरीमन ऐसे बड़े वकील थे कि उनका डंका देश के सुप्रीम कोर्ट से लेकर इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जस्टिस तक बोलता था. वो एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे. 1999 में राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत किया.

लेकिन फाली सैम नरीमन की सबसे बड़ी खासियत रही विद्रोही स्वभाव. किस्सा इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल का है. 1972 में उन्हें भारत का एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया था. 26 जून 1975 को वो दिन आया, जिसे भारत के लोकतंत्र में सबसे काला दिन कहा जाता है. इंदिरा ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी. इसके एक दिन बाद ही इस फैसले से नाखुशी जताते हुए फाली नरीमन ने इस्तीफा सौंप दिया था.ऐसा ही एक मौका 1999 में आया. फाली सैम नरीमन नर्मदा मामले में गुजरात सरकार के वकील थे. उन्हें पता चला कि गुजरात में ईसाइयों पर लगातार हमले हो रहे हैं. उन्होंने हमले की निंदा करते हुए गुजरात की तरफ से केस लड़ने से मना कर दिया था.

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