कोरोना काल के बाद जोड़ों के दर्द में चौंकाने वाला इजाफ, 25 से 45 साल के युवा हो रहे शिकार

कोरोना महामारी के दौर में बंदिशों के बीच जहां शारीरिक गतिविधियां कम हुईं, वहीं अब इसके बाद का दौर देश में हड्डी रोगों, खासकर युवाओं में घुटने और कूल्हे के दर्द के बढ़ते मामलों से चिंता पैदा कर रहा है.

कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के एक अध्ययन ने इस चिंता को और हवा दे दी है.

अध्ययन में युवाओं में हड्डी रोगों के बढ़ते मामलों के लिए स्टेरॉयड दवाओं को प्रमुख कारण माना गया है. अध्ययन के अनुसार, हड्डी रोग विभाग के ओपीडी में रोजाना 30-40 मरीज ऐसे आते हैं, जो घुटने और कूल्हे के दर्द से पीड़ित हैं. इन मरीजों की उम्र 25 से 45 साल के बीच है. यानी, युवा वर्ग ही इस समस्या का सबसे ज्यादा शिकार हो रहा है.

हिन्दुस्तान में छपी खबर के अनुसार, विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक सिंह ने बताया कि कोरोना के दौरान मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ था. ऐसे में आशंका है कि उसका नुकसान अब हड्डी रोगों के बढ़ते मामलों के रूप में सामने आ रहा है.

स्टेरॉयड्स का हड्डियों पर असर

स्टेरॉयड्स हड्डियों के डेंसिटी को कम कर देते हैं, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. यही कमजोरी घुटने और कूल्हे के दर्द का कारण बन सकती है. डॉ. अशोक का कहना है कि स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल से बचने की जरूरत है. खासकर कोरोना के बाद के दौर में डॉक्टर से सलाह के बिना स्टेरॉयड्स नहीं लेना चाहिए. हालांकि, ध्यान देने योग्य है कि अभी तक इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि घुटने और कूल्हे के दर्द के बढ़ते मामलों का सीधा संबंध स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल से है. इस पर और गहन शोध की जरूरत है.

 

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