सोहराय पर्व मनाने पर ग्राम प्रधान ने 12 परिवारों का हुक्का-पानी किया बंद, तुगलकी फरमान के खिलाफ न्याय की गुहार
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड में 12 आदिवासी परिवारों को कथित तौर पर ग्राम प्रधान के फरमान के अनुसार त्योहार नहीं मनाने के कारण ‘बहिष्कृत’ कर दिया गया था। इसे लेकर छोटा अस्थि गांव के लगभग एक दर्जन परिवारों ने शुक्रवार को उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री से मुलाकात कर उन्हें मामले से अवगत कराया।
आदिवासियों ने दावा किया कि उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में ‘सोहराई’ त्योहार मनाया था, जिसके बाद ग्राम प्रधान रूपाई हांसदा ने एक फरमान जारी किया, जिसके तहत कथित तौर पर उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ लेने से रोक दिया गया।
स्कूल और करीब के मैदान जाने से रोका
पीड़ित परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनसभी ने त्योहार उस तरह से नहीं मनाया जैसा ग्राम प्रधान चाहते थे। इसके बाद उनके बच्चों तक को स्कूल और करीब के मैदान में जाने से रोक दिया गया।
ग्राम प्रधान पर डराने-धमकाने का आरोप
पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान की ओर से उन्हें हर समय डराया-धमाकाया जा रहा है। ग्राम प्रधान के तुगलकी फरमान से परेशान परिवारों का गांव में हुक्का-पानी बंद कर दिया है। उन्हें न ही पूजा पाठ शामिल होने दिया जा रहा है और न ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ने दिया जा रहा है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से भी वंचित किया जा रहा है।
उपायुक्त ने बीडीओ को मामले सुलझाने का दिया आदेश
उपायुक्त मंजूनाथ ने इस मामले को सुलझाने के लिए प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) और स्थानीय पुलिस को ग्राम प्रधान, पीड़ित परिवारों और अन्य हितधारकों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान द्वारा जारी किया गया फरमान गैरकानूनी था और जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।