Suryodaya Scheme: बिहार एक सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक मजबूत रास्ता दिखा रहा है
राजेश कुमार सिंह नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या से लौटने के तुरंत बाद ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की घोषणा कर सबको चौंका दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “एक करोड़ घरों” में छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित की जाएगी, हालांकि उस वक्त लक्ष्य हासिल करने की कोई समय सीमा नहीं बताई गई. इस बात की पुष्टि तब हो गई जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि सरकार की नव-घोषित ‘रूफटॉप सौर योजना’का लाभ उठाने वाले लोग हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली के हकदार होंगे और उन्हें सालाना 18,000 रुपये तक बचाने में मदद मिलेगी. और इसकी सुनिश्चितता वितरण कंम्पनियों के माध्यम से होगी. ग्राहकों पर जीरो प्रेशर होगा.
सरकार ने कहा कि यह योजना घर पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराकर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में भी मदद करेगी. उन्होंने कहा कि इस योजना से आपूर्ति, स्थापना और रखरखाव में उद्यमशीलता और रोजगार के अवसर मिलने की भी उम्मीद है. यह योजना ऐसे समय में आई है जब सरकार का छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य गति नहीं पकड़ पाया है. पिछले साल मई में, ऊर्जा की संसदीय स्थायी समिति ने भी कहा था कि 2022 के अंत तक हासिल किए जाने वाले 40 गीगावॉट के लक्ष्य के मुकाबले, केवल 5.87 गीगावॉट छत सौर परियोजनाएं स्थापित की गईं, जो लक्ष्य का 15% से भी कम है.
अब लक्ष्य सरकार की ऊर्जा परिवर्तन योजनाओं के तहत, 2030 तक 500 गीगावॉट की कुल नवीकरणीय क्षमता में से 292 गीगावॉट सौर ऊर्जा बनने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का उद्देश्य छत पर सौर प्रतिष्ठानों के माध्यम से निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों को बिजली प्रदान करना है. छत पर स्थापना के तहत, सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) पैनल किसी इमारत, घर या आवासीय संपत्ति के ऊपर लगाए जाते हैं. ऐसे में रूफटॉप सोलर सपोर्ट से चार साल बाद घरों के लिए बिजली मुफ्त हो सकती है. जबकि 300 यूनिट मुफ्त बिजली योजना निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों को लक्षित है. ऋण का बोझ सार्वजनिक उपक्रमों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. अंदेशा है कि सार्वजनिक उपक्रमों के लिए ऋण चुकानाभविष्य में चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
हालांकि साल 2014 से पहले ही बिहार में एनर्जी सफिसिएंसी के लिए बड़े स्तर पर प्रयास शुरू हो गये थे. उर्जा वितरण में प्रीपेड मीटर की शुरुआत करनेवाला बिहार पहला राज्य बना. जिसके रीजल्ट अब सामने आने लगे हैं. इसी कड़ी में अब बिहार में दूसरा सोलर एनर्जी पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. ऊर्जा भवन में बिहार सोलर शो के दौरान ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव एवं सीएमडी बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड संजीव हंस ने कहा कि जल जीवन हरियाली अभियान के तहत राज्य में अगले दो-तीन वर्षों में सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगा कर 4600 करोड़ रुपए की लागत से 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादित करने का लक्ष्य है.
बिहार सोलर शो के दौरान ऊर्जा विभाग की ओर से बताया गया कि सेकेंड सोलर एनर्जी पॉलिसी का नोटिफिकेशन पाइपलाइन में है. 23,824 करोड़ की लागत से कई प्रोजेक्ट में इनवेस्टमेंट किया जाएगा. इनमें मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत 3,000 हजार करोड़ रुपए की लागत से अगले दो सालों में एक लाख सोलर स्ट्रीट लाइट लगाए जाएंगे. साथ ही कृषि रोड मैप 4 के अंतर्गत 4,000 करोड़ रुपए की लागत से फीडर लेवल सोलराइजेशन के कार्य को स्वीकृति दे दी गई है. जहां निवेश के भी बेहतर अवसर बताये जा रहे हैं. ऐसा दावा है कि बिहार राज्य में 325 दिन सूरज की रोशनी भरपूर रहती है, इसका उपयोग बिजली उत्पाद में किया जा सकता है. क्लाइमेंट चेंज के इस दौर में वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है.