Swine Flu : बढ़ रहे स्वाइन फ्लू के केस, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके
स्वाइन फ्लू के कई मामले गर्मी और मानसून सीजन में बढ़ जाते हैं. इस मौसम में नमी और तापमान में बदलाव के कारण वायरस के फैलने का जोखिम अधिक हो जाता हैं. बीते कुछ दिनों से देश के कुछ राज्यों में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं. महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली में इसके कुछ केस सामने आए हैं. स्वाइन फ्लू वायरस से होने वाला घातक संक्रमण हैं. इससे रेस्पिरेटरी सिस्टम खराब हो सकता हैं. कई लोगों को इस संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता हैं. आइए जानते हैं, क्या होता है स्वाइन फ्लू, क्या हैं इसके लक्षण, किसको है ज्यादा खतरा और कैसे करें बचाव.
स्वाइन फ्लू को H1N1 वायरस कहते है. यह एक तरह का संक्रमण है जौ इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता हैं. यह संंक्रमण सुअरों को प्रभावित करता है. सुअरों मेंं ये फेफड़ों को संक्रमित करता हैं. वहीं मनुष्यों में रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी की गला,नाक और फेफड़ों को प्रभावित करता हैं. यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में असानी से फैल सकता हैं. यह वायरस हवा में मौजूद होता हैं और सांंस लेने के जरिए ये शरीर में चला जाता हैं. इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से भी यह संक्रमण फैल सकता हैं.
क्या हैं लक्षण
सफदरजंग हॉस्पिटल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं, लेकिन यह कुछ विशेष लक्षण भी दिखा सकता हैंं. इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक का बहना, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना, और थकान शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ मामलों में उल्टी और दस्त भी हो सकती हैं. गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द भी हो सकता हैं. स्वाइन फ्लू के लक्षण जल्दी से बढ़ सकते हैं, इसलिए समय पर उपचार और सही देखभाल बहुत जरूरी हैं. बच्चों, बुजुर्गों और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि उनके संक्रमण का खतरा अधिक होता हैं.
किसको ज्यादा खतरा
उम्र- स्वाइन फ्लू का ज्यादा खतरा 2 साल से कम आयु के बच्चों में और 65 साल से अधिक आयु के लोगों में होता हैं.
संक्रमित क्षेत्र – जो लोग अस्पतालों और नर्सिंग होम में अधिकतर रहते हैं, उन को इस वायरस का ज्यादा जोखिम रहता हैं.
कुछ बीमारियां- जिन लोगों काे अस्थमा, डायबिटीज, किडनी, लीवर, ब्लड और हार्ट डिजीज हैं, उन्हें भी इस वायरस का ज्यादा रिस्क रहता हैं.
प्रेगनेंसी- गर्भावस्था महिलाओं को इस वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा रहता हैं. खासतौर पर प्रेगनेंसी के दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में इसका रिसक अधिक होता हैं.
कैसे करें बचाव
आपने हाथों को खाना खाने से पहले और बाद में धोएं.
आंख, नाक, और मुंह को छूने से बचें.
भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहें.
बाहर जाते समय सर्जिकल मास्क पहने.
टीकाकरण जरूर कराएं.