टाडा लगाया, जेल में सड़ा खाना खिलाया. कार सेवक ने सुनाई राम मंदिर आंदोलन की अनसुनी कहानी

अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने और फिर राम मंदिर बनवाने के आंदोलन में कार सेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साल 1989 में कार सेवकों ने शिला पूजन यात्रा की शुरुआत की थी. इस यात्रा के बाद कार सेवकों ने 90 के दशक में विवादित ढांचा भी गिराया, जिसके बाद यूपी से बीजेपी की सरकार गिर गई थी और फिर समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और कार सेवकों को जेल में डालने का काम किया गया.

ऐसे ही एक कार सेवक हैं विवेक रस्तोगी, जिन पर करीब 18 साल की उम्र टाडा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था और जेल में डाल दिया गया था.

आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जो ‘टाडा’ के नाम से भी जाना जाता है. इस कानून को आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोग के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन विवेक रस्तोगी जो कार सेवक रहे हैं, उन्होंने बताया कि जब वो राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा थे, तब समाजवादी पार्टी की सरकार ने कार सेवकों पर मुकदमे दर्ज कराए थे, जिसमें विवेक रस्तोगी के ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए थे. पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की हत्या कराने की साजिश रचने का हवाला देकर उन पर टाडा लगा दिया गया था.

जेल भरो आंदोलन हुआ

विवेक बताते हैं कि 1989 में राम शिलाओं का पूजन का कार्यक्रम चल रहा था. उसी समय उनको स्टीकर दिए गए थे, जो घर-घर जाकर लगाए जाते थे और 50 पैसे या एक रुपए उस समय इकट्ठा किए जाते थे. उन्होंने बताया कि सन 1990 में जेल भरो आंदोलन हुआ, जिसमें उनको एक विद्यालय में अस्थाई रूप से बनी जेल में रखा गया था.

 

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