‘RSS से निकलते हैं आतंकी, कश्मीर है पाकिस्तान का..’ विषैली प्रोफेसर को कर्नाटक सरकार ने क्यों भेजा न्योता?
भारतीय मूल की ब्रिटिश प्रोफेसर निताशा कौल ने रविवार को आरोप लगाया है, कि उन्हें भारत में प्रवेश देने से मना कर दिया गया और “दिल्ली के आदेश” पर उन्हें वापस बेंगलुरु हवाई अड्डे से लंदन भेज दिया गया।
प्रोफेसर निताशा कौल, विदेशी मीडिया में अपने एंटी-इंडिया एजेंडे को चलाने के लिए कुख्यात रही हैं।
प्रोफेसर निताशा कौल को इस बार कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने एक कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया था और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोका, तो बेंगलुरु से कई फोन कॉल दिल्ली किए गये, लेकिन अंतत: प्रोफेसर निताशा कौल को एंट्री नहीं दी गई।
इमिग्रेशन अधिकारियों ने प्रोफेसर निताशा कौल को वापस फ्लाइट में बिठाकर लंदन डिपोर्ट कर दिया।
लेकिन, सबसे हैरान करने वाली बात ये है, कि इस पूरे मामले पर हंगामा शुरू होने के बाद कर्नाटक कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है, क्योंकि प्रोफेसर निताशा कौल बुनियाद आरोपों के साथ विदेशी मीडिया में भारत की छवि धूमिल करती हैं, सेना के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाती हैं और बताती हैं, कि कश्मीरी पंडितों के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ है।
कर्नाटक सरकार ने भेजा था आमंत्रण
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, प्रोफेसर निताशा कौल को कर्नाटक सरकार ने कथित तौर पर ‘संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन – 2024’ में बोलने के लिए आमंत्रित किया था, और प्रोफेसर निताशा कौल ने दावा किया है, कि वो कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बेंगलुरू पहुंची थीं, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उन्हें भारत में एंट्री देने से इनकार कर दिया।
प्रोफेसर निताशा कौल ने दावा किया, कि भारत में एंट्री देने से इनकार, “लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों” पर उनके विचारों की वजह से था। उन्होंने कहा, वो लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आलोचना करती रही हैं, इसलिए ऐसा किया गया है।
निताशा कौल ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया, कि “लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर बोलने के लिए भारत में एंट्री देने से इनकार कर दिया गया। मुझे कर्नाटक (कांग्रेस शासित राज्य) सरकार द्वारा सम्मानित प्रतिनिधि के रूप में एक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन केंद्र ने मुझे प्रवेश देने से इनकार कर दिया।”
निताशा कौल का एंटी-इंडिया एजेंडा
निताशा कौल, लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और इंटरनेशनल रिलेशन, पॉलिटिक्स विषयों पर पढ़ाती हैं। इसके अलावा, वो पश्चिमी देशों की मीडिया में अकसर दिखाई देती रहती हैं, जहां वो भारत की छवि धूमिल करने के लिए जितना झूठ फैला सकती हैं, जितना प्रोपेगेडा कर सकती हैं, उतना करती हैं।
इस विवाद के बाद निताशा कौल का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें वो ब्रिटिश होस्ट मेंहदी हसन के साथ एक कार्यक्रम में बैठी हैं, जहां वो कश्मीर को लेकर धाराप्रवाह झूठ बोल रही होती हैं। इस वीडियो में वो बताती हैं, कि कश्मीर में लोगों को मारकर साहूबिक कब्र खोदे गये, सैकड़ों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, वहां भारतीय सेना ने जुल्म की हदों को पार कर दिया है।
वहीं, कश्मीर को लेकर उनके विचार ये रहे हैं:- “चुनावी धांधली के बाद कश्मीर में लोगों ने हथियार उठा लिए, जिसकी वजह से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ।”
कश्मीर को लेकर उनके एक और विचार कुछ इस तरह के हैं:- “विकास का वादा करके आजादी छीन लेना और उसे सही साबित करना, सिर्फ अलोकतांत्रिक ही नहीं है, बल्कि एक कोलोनियल मानसिकता है।”
RSS को लेकर निताशा कौल का कहना है:- RSS, भारत में एक दक्षिणपंथी पैरामिलिट्री समूह है, जो आतंकवादियों को जन्म देती है, जिसके सदस्य भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। बीजेपी एक राजनीतिक शाखा नहीं है।”
वहीं, जब साल 2013 में जब नरेन्द्र मोदी को (जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे) को जब व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक काउंसिल ने लंदन में एक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था, उस वक्त लंदन के कई वामपंथी प्रोफेसर्स ने चिट्ठी लिखकर उन्हें नहीं बुलाने की मांग की थी, जिसमें निताशा कौल भी शामिल थीं।
यानि, जो निताशा कौल आज फ्रीडम ऑफ स्पीच का हवाला देती हैं, वो किसी से फ्रीडम ऑफ छीनने की वकालत करती हैं। ये हिप्पोक्रेसी नहीं तो और क्या है?
डेटा रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन D-Intent Data ने अपने ट्वीट में निताशा कौल और उनके पति को लेकर कुछ दिलचस्प दावे किए हैं, जिसके बारे में हर भारतीय को जरूर जानना चाहिए।
दावा है, कि निताशा कौल के पति का नाम दिब्येश आनंद है, और वो भी भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने में माहिर हैं। पाकिस्तान की तरफ से विदेशों में जो भी भारत के खिलाफ सेमिनार आयोजित करवाए जाते हैं, अकसर उन कार्यक्रमों में दिब्येश आनंद को देखा जा सकता है। जब सीएए के खिलाफ भारत में आंदोलन चल रहा था, उस वक्त दिब्येश आनंद अलजजीरा पर देखे जाते थे और भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाली और छवि धूमिल करने वाली बातें किया करते थे।
D-Intent Data का कहना है, कि निताशा कौल को जब साल 2019 में यूएस कांग्रेस के एक कार्यक्रम में बुलाया गया था, तो उन्होंने अनुच्छेद-370 हटाने के लिए भारत पर सेंसर लगाने की मांग की थी।
इसके अलावा, दावा किया गया है, कि ये जोड़े Asian American Resource Workshop (AARW) की तरफ से आयोजित एंडी-इंडिया कार्यक्रम में भी शामिल हुआ था, जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी फंड करती है, और ये संगठन विदेशों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करता है।
इसके अलावा, निताशा कौल के आर्टिकिल आप द वायर और कारवां जैसे मीडिया ऑउटलेट्स में भी पढ़ सकते हैं।
हालाकि, हैरानी इस बात को लेकर होती है, कि आखिर इतना सबकुछ जानने के बाद भी कर्नाटक सरकार ने निताशा कौल को अपने कार्यक्रम में क्यों आमंत्रित किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है।
निताशा कौल पर कांग्रेस की चुप्पी क्यों?
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है, कि सम्मेलन के आयोजकों ने निताशा कौल को एंट्री दिलाने के लिए हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी और मदद के लिए नई दिल्ली नें कई फोन किए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
सम्मेलन में शामिल एक व्यक्ति ने अपनी पहचान उजागर किए बगैर कहा, कि “अन्य देशों के पांच-छह प्रतिनिधियों से भी हवाई अड्डे पर घंटों पूछताछ की गई, लेकिन बाद में उन्हें आने की इजाजत दे दी गई, लेकिन प्रोफेसर कौल को किसी भी हाल में इजाजत नहीं मिली और उन्हें निर्वासित कर दिया गया।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कौल के निर्वासन पर द इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब नहीं दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस मुद्दे पर ना ही फोन कॉल और ना हो मैसेज का जवाब दिया।
इस बीच, कर्नाटक बीजेपी ने कांग्रेस पर “भारत को तोड़ना चाहने वाले पाकिस्तानी समर्थक को आमंत्रित करके भारतीय संविधान का अपमान करने” का आरोप लगाया है।
कर्नाटक बीजेपी की तरफ से जारी एक ऑनलाइन बयान में कहा गया है, कि “कर्नाटक के टैक्सपेयर्स के पैसों पर कर्नाटक सरकार चुनाव से पहले भारत को अस्थिर करने के लिए आतंकवादी-समर्थक, शहरी नक्सलियों, राष्ट्र-विरोधियों, दंगों के आरोपियों को धन दे रही है। हमारी सुरक्षा एजेंसियों को धन्यवाद, ऐसे ही एक भारत-विरोधी तत्व को संदिग्ध रूप से भारत में प्रवेश करते हुए पकड़ा गया और हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया।”
आपको बता दें, कि प्रोफेसर निताशा कौल एंटी-इंडिया और एंटी-हिंदू एजेंडा चलाने के लिए कुख्यात हैं और उनका कहना है, कि कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में कोई जुल्म नहीं हुआ था। इसके अलावा भी वो कश्मीर में भारतीय सेना को लेकर कई अनर्गल दावे कर चुकी हैं। भारत विरोधी विदेशी पत्रकारों की चहेती प्रोफेसर निताशा कौल अकसर भारत विरोधी कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं और बगैर सबूत पेश किए हिन्दुओं पर मुस्लिमों से अत्याचार की आरोप लगाती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब कर्नाटक सरकार के मंत्री एचसी महादेवप्पा से प्रोफेसर निताशा कौल को भेजे गये न्योते को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस घटनाक्रम की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, कि “मुझे पता नहीं है। मैं कार्यक्रम के आयोजन में व्यस्त था।”
ये कार्यक्रम रविवार को खत्म हुआ है, जिसमें कई कांग्रेसी नेता और सांसद शामिल हुए थे। वहीं, कर्नाटक मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
तो सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या बाद में जाकर नेताओं को अहसास हुआ, कि निताशा कौल को बुलाकार उन्होंने गलती कर दी है। वहीं, दूसरा सवाल ये उठता है, कि आखिर कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे लोगों को बुलाने से पहले उनके बैकग्राउंड की जांच क्यों नहीं करते हैं?