जिस CM ने हिजला मेले का किया उद्घाटन, उसकी कुर्सी गई! रेकॉर्ड बड़ा ही डेंजरस है

16 फरवरी से जारी हिजला मेले का समापन 23 फरवरी को होगा। इस मेले के साथ जुड़े मिथकों में एक दिलचस्प मिथ ये है कि जब भी राज्यपाल, सीएम, मंत्री या किसी बड़े पद पर बैठा शख्स इसका उद्घाटन करता है तो उसे अपने पद से हाथ धोना पड़ता है। तीन दशक पहले जब यह इलाका संयुक्त बिहार का हिस्सा था, तब राज्यपाल, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री इस मेले का उद्घाटन किया करते थे। धीरे-धीरे ये मिथ स्थापित हो गया कि जिसने भी इसका उद्घाटन किया, उसकी कुर्सी खतरे में पड़ गई।

134 से हिजला मेले की परंपरा

3 फरवरी 1890 को संथाल परगना के तत्कालीन अंग्रेज उपायुक्त जॉन राबर्ट्स कॉस्टेयर्स के समय इस मेले की परंपरा शुरू हुई थी। मेला लगाने का मकसद शासन के बारे में संथाल इलाके के लोगों का फीडबैक लेना था। जनजातीय समुदायों के मानिंद लोग इस मेले में जुटते थे और इलाके के उन मसलों का यहां निपटारा किया जाता था, जो गांव की पंचायतों में सुलझ नहीं पाता था।

उद्घाटन करते ही कुर्सी पर आफत

1988 में बिहार के तत्कालीन सीएम बिंदेश्वरी दुबे ने हिजला मेले का उद्घाटन किया था और कुछ महीने बाद ही उनकी कुर्सी चली गई थी।

भागवत झा आजाद बिहार के सीएम बने और मेले का उद्घाटन करने के कुछ वक्त बाद उन्हें भी इस पद से हटना पड़ा।

सत्येंद्र नारायण सिंह बिहार के नए सीएम हुए और उन्हें इस मेले में आने के बाद कुर्सी से बेदखल होना पड़ा।

1989 में डॉ. जगन्नाथ मिश्र तीसरी बार बिहार के सीएम बने थे और इस मेले का उद्घाटन करने के तीन महीने बाद कुर्सी चली गई।

2024 में भी इस मेले के उद्घाटन के लिए कोई ‘बड़ी हस्ती’ उपलब्ध नहीं हुई। ग्राम प्रधान सुनीराम हांसदा ने फीता काटकर उद्घाटन किया।

‘हिज लॉ’ या हिजला, नाम पर विवाद

मेले के नामकरण को लेकर भी कई तरह की कहानियां हैं। कहते हैं कि चूंकि इस मेले के जरिए अंग्रेजी हुकूमत के अफसर जनजातीय परंपराओं और कानूनों से अवगत होते थे, इसी वजह से इसका नाम ‘हिज लॉ’ दिया था। हालांकि, कुछ लोगों की मान्यता है कि हिजला नाम के गांव की वजह से इसका ये नाम रखा गया। वर्ष 1975 में संताल परगना के तत्कालीन उपायुक्त गोविंद रामचंद्र पटवर्द्धन की पहल पर हिजला मेले के आगे जनजातीय शब्द जोड़ दिया गया। वर्ष 2008 में झारखंड सरकार ने इस मेले को महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया और वर्ष 2015 में इसे राजकीय मेले का दर्जा दिया गया।

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