अयोध्या पर फैसला जजों ने सर्वसम्मति से लिया था, संघर्ष के लंबे इतिहास को देखते हुए बनी थी एक राय: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि संघर्ष के लंबे इतिहास और अलग-अलग दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था. अयोध्या मामले में न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि फैसला किसने लिखा है, उसका उल्लेख नहीं होगा. सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश जब भी किसी मामले में फैसला लेते हैं तो संविधान और कानून के अनुसार लेते हैं.

देश के मुख्य न्यायाधीश ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की ओर से बरकरार रखे जाने के मुद्दे पर किसी भी विवाद से बचने की कोशिश की और अदालत के सर्वसम्मत निर्णय की कुछ हलकों में हो रही आलोचनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार किया.

न्यायाधीश अपने निर्णय के जरिए अपनी बात कहते हैं: CJI

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुच्छेद 370 के फैसले और उसकी आलोचना पर सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश अपने निर्णय के जरिए अपनी बात कहते हैं जो कि फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है. इसलिए एक स्वतंत्र समाज में लोग इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं. मुझे नहीं लगता है कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा.

वहीं, समलैंगिक विवाह से जुड़े फैसले पर सीजेआई ने कहा कि वो उस फैसले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, जिसमें समलैंगिक विवाह को कानून दर्जा देने से इनकार कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के लिए निर्णय व्यक्तिगत नहीं होता है. उन्होंने कोई पछतावा नहीं है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों ने अपने अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और यह बात उनके ध्यान में थी.

समलैंगिक विवाह को नहीं मिली कानूनी मान्यता

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था, लेकिन समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकार और उनकी सुरक्षा की बात कही थी. सीजेआई ने कहा कि एक बार जब आप किसी मामले पर फैसला कर लेते हैं तो आप परिणाम से खुद को दूर कर लेते हैं. एक जज के रूप में हमारे लिए निर्णय कभी भी व्यक्तिगत नहीं होते हैं. इसलिए मुझे कोई पछतावा नहीं है.

‘कभी भी खुद को किसी मुद्दे से न जोड़ें’

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कई बार जिन मामलों में फैसला सुनाया गया उनमें मैं बहुमत वाले फैसलों में था और कई बार अल्पमत वाले फैसलों में था. एक न्यायाधीश के जीवन में अहम बात कभी भी खुद को किसी मुद्दे से नहीं जोड़ना है. जब भी मैं किसी मामले पर फैसला देता हूं तो उसे वहीं छोड़ देता हूं.

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