तीन बार जेल गया जो शख्स, आज उसी की वजह से चल रहा हजारों भारतीयों का घर
देश को आजाद कराने के लिए हजारों-लाखों लोगों ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया. वहीं, आजादी का आंदोलन देश के कई भामाशाहों के त्याग की वजह से भी सुचारू ढंग से चल पाया. ऐसे ही एक उद्योगपति जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में ना केवल धन से बल्कि सीधे मैदान में आकर भाग लिया. जमनालाल बजाज ने 1920 के दशक में शुगर मिल के जरिये बजाज ग्रुप की नींव रखी थी. आज बजाज समूह देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में से एक है.
बजाज समूह वर्तमान में 40 से ज्यादा कंपनियों का समूह है. इनमें से कई कंपनियां शेयर बाजार में भी सूचीबद्ध हैं. बजाज कंपनी मोटरसाइकिल, स्कूटर, ऑटो रिक्शा, फैन, गीजर, एसी, कूलर के अलावा बहुत से प्रोडक्ट्स बनाती है. इसके अलावा वित्त, घरेलू उपकरण, प्रकाश व्यवस्था, लोहा और इस्पात, बीमा और यात्रा कारोबार में भी समूह की कंपनियां मौजूद हैं. इतिहासकार बिपिन चंद्र अपनी किताब ‘इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस: 1857-1947’ में लिखते हैं कि आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले कई समूहों में कई व्यक्तिगत पूंजीपति भी थे, जो कांग्रेस में शामिल हुए. उनमें जमनालाल बजाज पूरी तरह से आंदोलन से जुड़े और जेल गए.
कांग्रेस के नियमित फाइनेंसर
उद्योगपति जमनालाल बजाज का 1921 में ऑल इंडिया तिलक मेमोरियल फंड इकट्ठा करने में अहम रोल रहा था. उन्होंने देश में खादी को पॉपुलर करने के लिए चलाए अभियान में 1 करोड़ रुपये खर्च किया. खुद जमनालाल बजाज ने 25 लाख रुपये दान दिए थे. यही नहीं, वह दो दशक तक कांग्रेस के नियमित फाइनेंसर और बैंकर थे. बता दें कि उनका जन्म जयपुर रियासत के सीकर में काशी का बास गांव में कनीराम और बिरदीबाई के गरीब परिवार में 4 नवंबर 1889 को हुआ था. वर्धा के एक अमीर व्यापारी सेठ बच्छराज बजाज ने 1894 में उन्हें अपने पोते के तौर पर गोद लिया था.
क्यों और कब जाना पड़ा जेल
जमनालाल बजाज को असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में जेल जाना पड़ा. फिर 1923 में उन्होंने नागपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए झंडा सत्याग्रह में भाग लिया और ब्रिटिश सेना ने हिरासत में ले लिया. फिर उन्हें जेल जाना पड़ा. इसके अलावा 1930 में दांड़ी मार्च में गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद वह दो साल के लिए नासिक के केंद्रीय कारागार में भी रहे. उनका निधन 11 फरवरी 1942 को हुआ. आजाद भारत में 1978 को बजाज फाउंडेशन ने जमनालाल बजाज पुरस्कार शुरू किया. ये पुरस्कार गांधीवादी विचारों के उन्नयन, सामुदायिक सेवा और सामाजिक विकास के लिए दिया जाता है. हर साल चार श्रेणियों में यह पुरस्कार दिया जाता है. पुरस्कार विजेताओं में नेल्सन मंडेला और डेसमंड टूटू शामिल हैं.
महात्मा गांधी से क्या था नाता
समूह के संस्थापक जमनालाल बजाज महात्मा गांधी के करीबी विश्वासपात्र और शिष्य थे. गांधीजी ने उन्हें अपने बेटे के रूप में गोद लिया था. जमनालाल बजाज को महात्मा गांधी का पांचवां पुत्र कहा जाता था. उन्होंने 1927 में बलवंत सांवलाराम देशपांडे के साथ मिलकर अमरसर जयपुर में चरखा संघ की स्थापना की. बता दें कि पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने धन की याचना करते हुए भारत के व्यापारियों को खुश और सम्मानित किया. उन्होंने जमनालाल को मानद मजिस्ट्रेट नियुक्त किया. जब उन्होंने युद्ध निधि के लिए धन दिया तो उन्हें राय बहादुर की उपाधि दी गई. यह उपाधि उन्होंने 1921 के असहयोग आंदोलन के दौरान छोड़ दी थी.
बजाज की संपत्ति कितनी है
बजाज उपनाम का इस्तेमाल राजस्थान के अग्रवाल, माहेश्वरी समुदाय और पंजाबी खत्री समुदाय के लोग करते हैं. बजाज समूह की 40 से ज्यादा कंपनियां हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 280 अरब रुपये से ज्यादा है. बजाज फैमिली की 2022 तक सामूहिक संपत्ति 14.6 अरब डॉलर थी. बजाज ऑटो लिमिटेड 70 से ज्यादा देशों में निर्यात करता है. कंपनी के राजस्व का बड़ा हिस्सा निर्यात से आता है. जमनालाल बजाज अस्पृश्यता निवारण, हिंदी को बढ़ावा देने और खादी व ग्रामोद्योग जैसी पहलों में काफी रुचि रखते थे.