इस्लामिक देश बनने की राह पर तुर्की! शरिया कानून को लेकर छिड़ी बहस

मुस्लिम बहुल देश तुर्की में महिला वकील फेजा अल्टुन द्वारा शेयर की गई फासरी कविता ने एक नई बहस छेड़ दी है. फेजा अल्टुन तुर्की की जानी-मानी वकील हैं. कविता को ‘शरिया पर हमला’ और वकील फेजा अल्टुन को धर्म या सांप्रदायिक मतभेदों के आधार पर अन्य समूह के प्रति घृणा फैलाने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया. जिससे तुर्की में धर्मनिरपेक्ष और इस्लाम को लेकर विवाद छिड़ गया है.

वर्तमान में 99 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम होने के बावजूद तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष देश है. 1924 में संवैधानिक संशोधन के बाद से ही तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष देश है. तुर्की का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है. तुर्की का संविधान सभी धर्मों और आस्थाओं के प्रति समान सहिष्णुता की बात करता है.

तुर्की आधुनिक धर्मनिरपेक्ष देशः अल्टुन

अल्टुन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी करते हुए कहा है कि उसने किसी के बारे में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लिखा है. जिसे आप शरिया कानून कहते हैं, मेरे लिए वह तालिबानी मानसिकता है, जो सड़क पर चल रही महिलाओं पर पत्थर फेंकने की हिमायती है. मैं अपनी बातों पर अडिग हूं. तालिबानी मानसिकता इस देश में लागू नहीं होगी. यह देश आधुनिक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानता है. शरिया कानून की मांग करना संवैधानिक व्यवस्था के लिए खतरा है.

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