कहानी उस मैजिकल म्यूजिक डायरेक्टर की, जिसने देश की सबसे बड़ी सिंगर लता मंगेशकर से नहीं गवाया एक भी गाना
आज दिग्गज संगीतकार ओपी नैयर का जन्मदिन है. सीआईडी, कश्मीर की कली, नया दौर, आर-पार जैसी तमाम हिट फिल्मों में ओपी नैयर का संगीत था. उनके सुपरहिट गानों की फेहरिस्त लंबी है. लेकिन वो सबसे ज्यादा इस बात के लिए मशहूर रहे कि उन्होंने लता मंगेशकर से एक भी गाना नहीं गवाया.
आज दिग्गज संगीतकार ओपी नैयर का जन्मदिन है. सीआईडी, कश्मीर की कली, नया दौर, आर-पार जैसी तमाम हिट फिल्मों में ओपी नैयर का संगीत था. उनके सुपरहिट गानों की फेहरिस्त लंबी है. लेकिन वो सबसे ज्यादा इस बात के लिए मशहूर रहे कि उन्होंने लता मंगेशकर से एक भी गाना नहीं गवाया.
लता मंगेशकर से गाना न गवाने के पीछे का सच
पचास के दशक की बात है. दलसुख पंचोली नाम के प्रोड्यूसर एक फिल्म बना रहे थे- आसमान. ये ओपी नैयर के करियर का बिल्कुल शुरुआती दौर था. लता जी उस वक्त बड़ी गायिकाओं में शुमार हो चुकी थीं. ओपी नैयर ने भी उन्हें अपना एक गाना गाने के लिए संपर्क किया. लता जी तैयार हो गईं. उस दौर में जिस तरह का ‘कॉन्ट्रैक्ट’ होता रहा होगा, वो ‘कॉन्ट्रैक्ट’ भी तैयार हो गया. लेकिन गाने की रिकॉर्डिंग से तीन-चार दिन पहले लता जी ने गाने की रिकॉर्डिंग की तारीख को आगे बढ़ाने की रिक्वेस्ट की. ओपी नैयर इसके लिए तैयार नहीं हुए. उन्होंने गुस्से में आकर वो गाना उस दौर की दूसरी बड़ी गायिका राजकुमारी जी से गवा दिया. बस यहीं से बात बढ़ गई. लता जी ने भी तय कर लिया कि वो ओपी नैयर के संगीत निर्देशन में कभी गाएंगी ही नहीं. लता जी के पास इस फैसले के पीछे की वजह भी थी. वो कहती थीं कि जिस संगीतकार को अपने गायक की सेहत की फिक्र ना हो, जो सिर्फ अपने अनुशासन पर अड़ा रहे उसके साथ क्यों काम करनालता जी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दरअसल उन दिनों उन्हें ‘साइनस’ की दिक्कत थी और इसीलिए उन्होंने ओपी नैयर से रिकॉर्डिंग की तारीख बदलने की रिक्वेस्ट की थी. जो ओपी नैयर ने नहीं मानी. फिल्म संगीत की दुनिया में ये एक बड़े विवाद के तौर पर हमेशा देखा गया. गायिका राजकुमारी ने भी बाद में ये बयान दिया था कि उन्हें नहीं पता कि ओपी नैयर ने वो गाना उनसे क्यों गवाया. उस गाने के बोल थे- मोरी निंदिया चुराय गयो. लता जी कहती थीं कि उन्होंने ये गाना कभी सुना ही नहीं
मजरूह सुल्तानपुरी ने की थी समझौते की कोशिश
मजरूह सुल्तानपुरी बड़े लेखक थे. जिस दौर में ओपी नैयर और लता जी का विवाद हुआ उस दौर में वो फिल्मी गीत खूब लिखा करते थे. उनकी बड़ी इज्जत थी. मजरूह सुल्तानपुरी को जब ओपी नैयर और लता मंगेशकर के बीच विवाद की खबर मिली तो वो परेशान हो गए. उन्होंने इस बात की पूरी कोशिश की दोनों लोग मान जाएं. शायद उनकी भी ख्वाहिश यही रही होगी कि दो काबिल लोगों को एक साथ काम करना चाहिए. लेकिन ना ही लता जी मानी और ना ही ओपी नैयर माने. ऐसा शायद इसलिए हुआ होगा क्योंकि लता जी और ओपी नैयर दोनों एक दूसरे के बिना भी कामयाब थे. वैसे ओपी नैयर एक बार मोहम्मद रफी से भी नाराज हो गए थे. कई साल तक इन दोनों ने भी साथ काम नहीं किया. इस दौरान ओपी नैयर ने महेंद्र कपूर से गवाना शुरू कर दिया था. फिल्मों में जब राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे कलाकारों का दौर शुरू हुआ तो ओपी नैयर ने खुद को फिल्म संगीत से दूर कर लिया. कई साल बाद उन्होंने इक्का-दुक्का फिल्मों का संगीत तैयार जरूर किया लेकिन तब तक फिल्म संगीत का समीकरण बदल चुका था. ओपी नैयर को वो कामयाबी नहीं मिली जो पहले मिला करती थी.
एक्टिंग करने के लिए बॉम्बे गए थे ओपी नैयर
टेलीविजन पर रिएलिटी शो के दौर की शुरूआत का समय याद कीजिए. ओपी नैयर बतौर जज कार्यक्रम में शामिल हुआ करते थे. उनका अपना अलग ही अंदाज था-आंखों पर चश्मा, सर पर हैट, लंबा कद. वैसे ओपी नैयर के बारे में दिलचस्प कहानी ये भी है कि वो बॉम्बे संगीतकार बनने के लिए नहीं बल्कि अभिनेता बनने के लिए गए थे. जाने माने निर्देशक शशाधर मुखर्जी ने उनका स्क्रीन टेस्ट भी लिया था. शशाधर मुखर्जी बड़े फिल्मकार थे. उन्होंने लव इन शिमला, एक मुसाफिर एक हसीना, लीडर, जागृति जैसी फिल्में बनाई थीं. उन्होंने ही ओपी नैयर का स्क्रीन टेस्ट लिया था. जिसमें ओपी नैयर फेल हो गए थे. इसके बाद ही ओपी नैयर ने संगीतकार बनने का रास्ता चुना. ओपी नैयर को हमेशा एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद रखा जाता है जो अपनी जिद के पक्के थे. जिन्हें अनुशासन बहुत पसंद था. वैसे ओपी नैयर को लेकर उस दौर के लोग ये भी कहा करते थे कि उनकी शख्सियत में उनके बचपन का संघर्ष झलकता था. ओपी नैयर को बचपन में कई बीमारियों का सामना करना पड़ा था. जिससे उनके स्वभाव में एक स्वाभाविक झुंझलाहट रहती थी.