जमीन में बाण चलाकर प्रकट की धारा, यहां ब्रह्म हत्या के पाप से उबरने के लिए राम ने किया था तप
रावणवध के बाद भगवान राम काफी परेशान थे, उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप का डर सता रहा था. ऐसे में लंका विजय के बाद अयोध्या लौटते समय भगवान राम कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ पहुंचे, जहां उन्होंने गोकर्ण में कठिन तपस्या की थी. कहा तो यह भी जाता है कि इससे पहले खुद रावण भी इस स्थान पर आया था. इसलिए भगवान राम ने ब्रह्महत्या के पाप मोचन के लिए इसी स्थान पर तप करने का फैसला किया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक खुद राम ने ही इस स्थान पर बाण चलाकर पवित्र जल की धारा प्रकट की थी.
अब चूंकि अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण हो रहा है. 22 जनवरी को ही इस निर्माणाधीन मंदिर में रामलला की दिव्य प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. ऐसे में समय में उत्तर कन्नड़ के गोकर्ण की भी चर्चा तेज हो गई है. स्थानीय लोगों के मुताबिक रावण वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या के पाप का डर सताने लगा था. वह परेशान रहने लगे थे. उन्होंने अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ से इसका समाधान पूछा और फिर उनके ही कहने पर उन्होंने पाप मोचन के लिए गोकर्ण के तट पर ध्यान लगाया था.
लक्ष्मण, सीता और हनुमान के साथ आए थे राम
बताते हैं कि यहां तप करने के लिए भगवान राम लक्ष्मण और सीता के साथ आए थे. यहां उन्होंने पश्चाताप के तौर पर प्रायश्चित करना चाहा, लेकिन उस समय यहां कोई जलश्रोत नहीं था. ऐसे में भगवान ने धरती में बाण चलाकर इस स्थान पर जलश्रोत पैदा किया और फिर तप करने बैठे. इस स्थान पर भगवान राम का एक भव्य मंदिर भी है. इस मंदिर में भगवान माता सीता और लक्ष्मण तथा आंजनेय हनुमान के साथ मौजूद हैं.
जलश्रोत में 12 महीने बहता है मीठा जल
स्थानीय लोगों के मुताबिक उसी समय यह जलश्रोत नदी के रूप में प्रवाहित है और इसमें 12 महीने मीठा पानी बहता रहता है. मान्यता है कि इस जलश्रोत में स्नान करने से ना केवल पापों का क्षय होता है, बल्कि चर्म रोगों से भी मुक्ति मिलती है. ऐसे में काफी दूर दूर से लोग इस स्थान पर स्नान करने और तप व ध्यान करने के लिए आते हैं.