बॉलीवुड का वो विलेन जिसने एक म्यूजिक डायरेक्टर के खातिर ठुकराया फिल्मफेयर, सबकी नजर में बना हीरो
एक विलेन के लिए सबसे बड़ी अचीवमेंट क्या हो सकती है? यही कि उसका नाम सुनकर लोग खौफ खाने लग जाएं. जिसका नाम सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाएं. या इसका उदाहरण अगर प्राण साहब के लिए देना हो तो इस बात को ऐसे भी कहा जा सकता है कि जिसके नाम का खौफ ऐसा हो कि लोगों ने अपने बच्चों का नाम ही उसके नाम पर रखना छोड़ दिया हो. हम बात कर रहे हैं प्राण की. प्राण को सिल्वर स्क्रीन पर सबसे खतारनाक विलेन में से एक माना जाता है. लेकिन जब बात रियल लाइफ की होती है तो उनका नाम हमेशा से बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. वो रुपहले पर्दे पर अपने तेवर भरे मिजाज और खुराफात भरी आंखों से लोगों को एक भयावह फील देते थे लेकिन रियल लाइफ में उनकी निश्चल मुस्कान आपको एक सुखद एहसास दिलाती है. तमाम निगेटिव कैरेक्टर्स करने के बाद भी प्राण लोगों के दिलों तक एक बड़े विनम्र और सरल भाव से पहुंचते हैं तो इसके पीछे की भी कई सारी वजहें हैं. एक वजह आज हम आपको उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर बताएंगे जो फिल्मफेयर से जुड़ी हुई है.
इंसान कई भावों का गुब्बारा है. और हर भाव का अपना एक मिजाज है. हर शख्स एक जैसा नहीं हो सकता. विविधता ही कुदरत की रोचकता है. एक राम हुए तो एक रावण हुए. रावण से निगेटिव किरदार का खयाल आता है. निगेटिव किरदार से कुछ चहरे उभरते हैं जिनमें से एक नाम अमरीश पुरी का हो सकता है. एक नाम अमजद खान का हो सकता है, तो एक नाम प्राण का भी हो सकता है. ये ऐसे किरदार हैं जिन्होंने अपने करियर में इतने निगेटिव रोल्स निभाए हैं कि जब भी इनकी तस्वीर हमारी आंखों के सामने आती है मन में एक सहमा सा भाव स्पर्श कर जाता है. लेकिन बॉलीवुड के पहले सबसे खतरनाक विलेन प्राण अपनी ऑन स्क्रीन छवि को रियल लाइफ में झुठलाया और सच्चा झूठा फिल्म के इस गीत को सार्थक कर दिया कि ‘दिल को देखो चेहरा ना देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा, दिल सच्चा और चेहरा झूठा.’
बात 1973 की है. प्राण साहब को फिल्म बे-ईमान में सपोर्टिंग रोल की परफॉर्मेंस के लिए नॉमिनेट किया गया था. वे ये अवॉर्ड जीत भी गए थे. लेकिन उन्होंने ये अवॉर्ड लेने से मना कर दिया था. उन्होंने ऐसा एक म्यूजिक डायरेक्टर और उसकी परफॉर्मेंस के सम्मान में किया था. दरअसल उसी साल बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर के अवॉर्ड के लिए उन्हीं की फिल्म बे-ईमान का म्यूजिक देने वाले शंकर-जयकिशन को चूज किया गया था. जबकी बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर के लिए पाकीजा का संगीत देने वाले गुलाम मोहम्मद भी नॉमिनेटेड थे. प्राण का ऐसा मानना था कि ये अवॉर्ड पाकीजा का म्यूजिक देने वाले गुलाम मोहम्मद को ही दिया जाना चाहिए था. क्योंकि प्राण की नजर में गुलाम ने फिल्म में बहुत ही बढ़िया संगीत दिया था. उन्हें अवॉर्ड ना मिलना प्राण को खटक गया और उन्होंने उसी फिल्म में सपोर्टिंग रोल के लिए मिल रहा अपना फिल्मफेयर अवॉर्ड भी ठुकरा दिया था.