सोने पर छाई महंगाई फिर क्यों खरीद रहा आरबीआई?

सोने के भाव आसमान छू रहे हैं। इसके बावजूद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया खूब खरीदारी कर रहा है। अमेरिकी डॉलर में उतार-चढ़ाव को देखते हुए आरबीआई ने सोने की खरीदारी बढ़ा दी है। इसका उद्देश्य आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार की विविधता को बढ़ाना है।

 

विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 3 अरब डॉलर की उछाल से गोल्ड रिजर्व के मूल्य में 80% से अधिक की वृद्धि हुई है, जो 5 अप्रैल तक रिकॉर्ड 648.5 अरब डॉलर तक पहुंच गई। रिजर्व बैंक के डेटा के मुाबिक 5 अप्रैल तक कुल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 5401575 करोड़ रुपये का था। इसमें विदेशी करेंसी की वैल्यू 4756930 करोड़ रुपये थी। स्वर्ण भंडार की वैल्यू 454381 करोड़ रुपये थी। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने इस साल जनवरी-फरवरी के दौरान बाजार से 13.3 टन सोना खरीदा। यह 2023 में RBI द्वारा खरीदे गए कुल सोने का 80% से अधिक है।

क्यों कर रहा खरीदारी: आरबीआई अपनी विदेशी मुद्रा एसेट्स में विविधता लाने, मुद्रास्फीति और विदेशी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों को कम करने की रणनीति के तहत दिसंबर 2017 से लगातार बाजार से सोना खरीद रहा है। फरवरी 2024 तक आरबीआई का सोने का भंडार दिसंबर 2017 में 17.94 मिलियन ट्रॉय औंस से बढ़कर 26.26 मिलियन ट्रॉय औंस हो गया है।

दूसरी ओर फरवरी के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में 7% से अधिक की बढ़ोतरी ने सोने के भंडार के मूल्य में वृद्धि में योगदान दिया है। फिलहाल सोने की कीमतें 2300 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस को पार कर रही हैं। भारत में सोने के भाव पिछले दो महीनों में 17% बढ़कर लगभग 62,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से लगभग 72,700 रुपये के स्तर पर पहुंच गई हैं।

चीन का केंद्रीय बैंक सोने का सबसे बड़ा सरकारी खरीदार

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार चीन के केंद्रीय बैंक ने मार्च में अपने भंडार में 160,000 ट्रॉय औंस सोना जोड़ा है। चीन पिछले 17 महीनों में अपने सोने के भंडार में बढ़ोतरी कर रहा है। चीन का स्वर्ण भंडार 148.64 अरब डॉलर से बढ़कर 161.07 अरब डॉलर हो गया। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) 2023 में 7.23 मिलियन औंस (224.9 मीट्रिक टन) खरीदकर सोने का सबसे बड़ा सरकारी खरीदार था।

क्या कहते हैं आरबीआई गवर्नर: 5 अप्रैल को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “हम सोने का भंडार जमा कर रहे हैं। हम भंडार बढ़ाने के दौरान सभी पहलुओं का मूल्यांकन करते हैं और फिर निर्णय लेते हैं।”

अनिश्चितता और राजनीतिक उथल-पुथल के समय में सोना एक सेफ हैवेन माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर ऐतिहासिक रूप से एक स्थिर मुद्रा रही है। वर्तमान में अमेरिकी बांड अपनी उच्चतम यील्ड पर हैं, जो कमजोर डॉलर का संकेत देता है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *