जेब में नहीं थी फूटी कौड़ी, न कहीं से मिली मदद, फिर भी गरीब बस कंडक्‍टर के बेटे ने खड़ी कर दी 215 करोड़ की कंपनी

राजस्‍थान के बाड़मेर के रहने वाले युवा जेताराम चौधरी की कंपनी कंपनी एएसबी सॉल्‍युशन (ASB Solution) का सालाना टर्नओवर 215 करोड़ रुपये है. एएसबी सॉल्यूशन राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार में काम कर रही है. कंपनी के 4000 से अधिक फ्रेंचाइजी काम कर रहे हैं. सालाना करोड़ों रुपये टर्नओवर वाली इस कंपनी के फाउंडर जेताराम न तो आईआईटी या आईआईएम में पढे हैं और न ही वो किसी बिजनेस फैमिली से ताल्‍लुक रखते हैं. उनका जन्‍म एक गरीब बस कंडक्‍टर के घर हुआ था. उनके घर की हालत यह थी कि उन्‍हें कंप्‍यूटर सीखाने को उनके पिता के पास पैसे तक न थे. लेकिन, जेताराम ने हर मुश्किल को अपने हौसले से मात दे अपनों सपनों का साकार किया है.

आज कई राज्‍यों में डिजिटल सेवाएं प्रदान कर रही एएसबी सॉल्‍यूशन के मालिक जेताराम ने पहली बार कंप्‍यूटर अपने पड़ोसी के घर देखा था. पहली बार कंप्‍यूटर देखकर जेताराम ने कंप्‍यूटर की फील्‍ड में ही कुछ करने की ठानी. लेकिन कंडक्‍टर बाप के बेटे जेताराम की इस चाहत के आड़े उनके घर के आर्थिक हालात आ गए. उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे जेताराम को कंप्‍यूटर कोचिंग के लिए जयपुर भेज देते. पैसों की तंगी आड़े आने के बाद भी जेताराम ने हिम्‍मत नहीं हारी.

कंप्‍यूटर सेंटर पर किया काम

जेताराम ने ठाना था कि उन्‍हें हर हाल में कंप्‍यूटर सीखना है. उन्‍होंने बाड़मेर में ही एक कंप्‍यूटर सेंटर पर काम करना शुरू कर दिया. उन्‍हें वहां कई तरह के काम करने होते थे. वो दुकान का सब काम निपटाते हुए भी कंप्‍यूटर चलाने का समय निकाल ही लेते. उन्‍होंने अपने दम पर काफी कुछ सीखा. वहां काम करते हुए उन्‍हें कई तरह की ऑनलाइन सेवाओं के बारे में पता चला.

साल 2018 में बनाई कंपनी

कंप्‍यूटर सेंटर संचालन को लगता था कि जेताराम का इरादा शायद कंप्‍यूटर सेंटर खोलना है. लेकिन, जेताराम कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे. कुछ अलग कर गुजरने की चाहत लिए जेताराम ने वो करने की ठानी, जिसके बारे में आम युवा सोच भी नहीं सकता. उन्‍होंने अपनी एक डिजिटल सॉल्‍यूशन कंपनी खोलने का मन बनाया. जुलाई 2018 में उन्‍होंने एएसबी डिजिटल सॉल्यूशंस नाम की एक कंपनी रजिस्टर कराई. जेताराम चौधरी ने घरवालों से किसी तरह का सहयोग नहीं लिया. बैंक गारंटी समेत अन्य तमाम खर्च का प्रबंध जेताराम ने खुद ही किया.

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