सौरमंडल के इन 2 ग्रहों के पास घूमते मिले तीन नए चांद

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में तीन नए चंद्रमा खोजे हैं जो अब से पहले कभी नहीं देखे गए थे! तो क्या ये चंद्रमा नए बने हैं? या खगोलविदों की नजरों से छुपे हुए थे? क्या कहना है अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का इनके बारे में? आपके मन में भी कई ऐसे ही सवाल आ रहे होंगे। जो नए चंद्रमा देखे गए हैं इनमें से दो मून तो नेपच्यून ग्रह के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं, जबकि एक अन्य चंद्रमा यूरेनस ग्रह के चक्कर काट रहा है। हवाई और चिली में मौजूद पावरफुल टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर इनको स्पॉट किया गया है।

नेपच्यून, यूरेनस के नए चंद्रमा खोजे जाने के बाद अब नेपच्यून के पास 16 चांद हो गए हैं, जबकि यूरेनस के पास 28 चांद हो गए हैं। स्पेस डॉट कॉम के अनुसार, इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल यूनिट (IAU) ने घोषणा कर इस खोज की जानकारी दी है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इनको नाम भी दे दिए हैं। नेपच्यून के दो नए चंद्रमा में से एक को, जो सबसे चमकीला है, S/2002 N5 नाम दिया गया है। जबकि इसके कम रोशनी वाले चांद को S/2021 N1 नाम दिया गया है। इनकी खोज में साइंटिस्ट स्कॉट शेपर्ड के अलावा, नासा की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी में कार्यरत मरीना ब्रोजोविक और बॉब जैक्सन भी शामिल हैं।

नेपच्यून के इन नए चंद्रमाओं को इससे पहले कई बार देखा जा चुका था। 2003 में इन्हें देखा गया था। लेकिन इसके बारे में सटीक जानकारी मिलने से पहले ही ये गायब हो गए। उसके बाद सितंबर 2021 में भी इन्हें देखे जाने की बात सामने आई लेकिन इनकी सटीक जानकारी नहीं मिल सकी। क्योंकि ये आकार में छोटे होने के कारण बीच में कहीं गायब हो जा रहे थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये नेपच्यून के पास पैदा हुए चंद्रमा नहीं हैं, बल्कि ये कहीं और पैदा हुए हैं। फिर बाद में नेपच्यून के गुरुत्वाकर्षण ने इनको खींच लिया। जिसके बाद ये इसका चक्कर लगाने लगे।

नेपच्यून का जो चंद्रमा ज्यादा चमकीला है, वो लगभग 23 किलोमीटर चौड़ा है, और यह 9 साल में नेपच्यून का एक चक्कर पूरा करता है। वहीं, जो चंद्रमा कम चमकीला है, वह लगभग 14 किलोमीटर चौड़ा है। यह ग्रह का एक चक्कर 27 साल में पूरा करता है।

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