गठिया की बीमारी को खत्म देते हैं ये घरेलू उपाय, झट से दूर हो जाएगा दर्द

यह एक भयंकर रोग है। साधारण रूप में यह प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में होता है, परन्तु कभी-कभी छोटी आयु में भी यह अनेक व्यक्तियों को लग जाता है। गठिया रोग प्राय: वसंत तथा वर्षा ऋतु में उस समय तथा उन स्थानों पर अधिक होता है, जहां सर्दी-गर्मी का प्रभाव अधिक पड़ता है। कुछ जगहों पर यह रोग वंशानुगत भी पाया जाता है। यह रोग उन स्त्री अथवा पुरुषों को अधिक होता है, जो चावल, महीन आटा, मैदा, मावा (खोया), चीनी, गर्म व तेज मसाले, चाट-पकौड़े, अंडे, मछली, शराब, अफीम आदि का ज्यादा सेवन करते हैं। जो लोग बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत तथा कठिन व्यायाम करते हैं और कुछ समय के बाद छोड़ देते हैं, उनको भी आम बात या गठिया का रोग हो जाता है।

गठिया रोग का घरेलू उपचार:

-सुबह के समय एक चम्मच लहसुन का रस और एक चम्मच शहद या देसी घी मिलाकर 40 दिन तक सेवन करें। यह गठिया रोग की बड़ी प्रसिद्ध दवा है।

-चार चुटकी गिलोय का चूर्ण तथा आधा चम्मच सोंठ, रोज सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें।

-एक चम्मच पत्ता गोभी का रस, एक चम्मच चुकंदर का रस और एक चम्मच गांठ गोभी का रस लेकर उसमें जरा-सा काला नमक और पिसी हुई दो लौंगे डालकर सेवन करें।

-अमरुद की पांच-छः नई पत्तियों को पीसकर उसमे जरा सा काला नमक डालकर नित्य सेवन करें।

-आम की गुठलियों की 100 ग्राम गिरी कुचलकर 250 ग्राम सरसों के तेल में अच्छी तरह पकाएं। फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें। इस तेल की सुबह-शाम पूरे शरीर में मालिश करें।

-सोंठ तथा गिलोय को बराबर की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा कूट लें। इसे दो कप पानी में उबलने के लिए आंच पर रख दें। पानी जब आधा रह जाये, तो इसे छानकर पी लें। यह काढ़ा लगभग 40 दिन तक नित्य भोजन करने के थोड़ी देर बाद पिएं।

-असली हींग को पीसकर घी में मिला लें। फिर इससे जोड़ों की मालिश करें। यह स्नायुओं को मजबूत करता है तथा दर्द कम करता है।

-पीपल के पेड़ की 10 ग्राम छाल का काढ़ा बना लें। फिर उसमें शहद डालकर सेवन करें।

-लहसुन के रस में कपूर या यूकेलिप्टिस का तेल मिलाकर जोड़ों पर देर तक मालिश करें।

-अड़ूसे के पत्तों को गर्म करके जोड़ों पर सिंकाई करें। यह गठिया की सूजन तथा दर्द, दोनों में बहुत उपयोगी है।

-अगर गठिया रोग माह-दो माह पुराना हो गया है, तो 10 ग्राम पिसी हुई सोंठ को 100 ग्राम पानी में उबालें। पानी जब चौथाई भाग रह जाए, तो उसे गुनगुना करके रोगी को पिलाएं।

-गठिया या अन्य किसी कारण से जोड़ों में दर्द हो, तो सरसों के तेल में पिपरमेंट का तेल मिलाकर लगाएं।

-गठिया की बीमारी में अखरोट का तेल जोड़ों पर मलें तथा इसका नित्य सेवन करें।

-करेले का रस निकाल कर गठिया वाले भागों पर लगाएं, तो सूजन कम हो जाती है। इसके साथ-साथ करेले के रस में राई का तेल मिलाकर मालिश करने से काफी लाभ होता है।

-जावित्री 2 ग्राम तथा सोंठ आधा चम्मच । दोनों एक साथ गर्म पानी से रोगी को दें।

-बिनौले का तेल गठिया वाले स्थानों या जोड़ों पर मलने से काफी लाभ होता है।

-आधा किलो तिल के तेल में 10 ग्राम कपूर मिलाकर शीशी में भरें और कार्क लगाकर धूप में रख दें। जब कपूर तेल में घुलकर मिल जाए, तो गठिया के जोड़ों पर अच्छी तरह मालिश करें।

-जोड़ों पर अदरक के रस को गर्म करके मलने से भी काफी लाभ होता है।

-250 ग्राम सरसों का तेल, 10 ग्राम अजवायन, चार पूती लहसुन कुचलकर, दो लौंगों का चूर्ण, चुटकी भर अफीम । सबको तेल में मिलाकर आंच पर अच्छी तरह पकाएं। अजवाइन, लहसुन आदि जब जलकर काले पड़ जाएं, तो तेल को आंच से नीचे उतार कर छान लें। इस तेल की मालिश नित्य सुबह-शाम जोड़ों पर करें।

-जोड़ों में दर्द होने पर सहजन की सब्जी का सेवन करें।

-एक चम्मच पिसी हुई सोंठ और आधा जायफल का चूर्ण। दोनों को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर जोड़ों पर लगाएं।

-गठिया के दर्द में नीम के तेल की जोड़ों पर मालिश तथा इन्हें पानी में उबाल कर स्नान करें।

-गठिया के रोगी को हलदी, शक्कर तथा जौ के आटे के बने लड्डू बहुत लाभ पहुंचाते हैं।

-एक चम्मच मेथी का चूर्ण तथा 50 ग्राम गुड़ के सेवन से गठिया के रोगी को बहुत लाभ होता है।

-गठिया के रोगी को चौलाई की सब्जी खिलानी चाहिए।

-दो कप पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले तथा 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। पानी जब एक कप बचा रह जाए, तो इसे छानकर पिएं।

-तुलसी के पत्तों का रस आधा चम्मच, पिसी हुई काली मिर्च के चार दानें, दो चुटकी काला नमक तथा दो चम्मच शहद। सबको मिलाकर नित्य 40 दिन तक पिएं।

-कायफल का तेल साधारण वात के लिए बहुत फायदेमंद है।

-प्याज के तेल में राई मिलाकर हाथ, पैर आदि के जोड़ों पर मालिश करें।

-लौंग के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करें।

-लहसुन की चार कलियों को दूध में उबालकर पिएं।

गठिया का आयुर्वेदिक इलाज:

अश्वगंधा चूर्ण दो चम्मच, सोंठ एक चम्मच, काली मिर्च चौथाई चम्मच तथा मिसरी तीन छोटी डली। सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन गुनगुने जल से सुबह-शाम करें।

फिटकिरी 5 ग्राम, मीठी सुरंजान 15 ग्राम, बबूल का गोंद 5 ग्राम तथा काली मिर्च 10 नग। सबको सूखा भूनकर एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। उसमें से 2 चुटकी चूर्ण दिन में दो बार लें।

सोंठ 25 ग्राम, हरड़ 100 ग्राम, अजमोद 15 ग्राम तथा सेंधा नमक 10 ग्राम। इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह-शाम गर्म पानी से नित्य सेवन करें।

वात तथा कफ वाली गठिया के लिए सोंठ 25 ग्राम, काली मिर्च 25 ग्राम, पीपल 15 ग्राम, लहसुन 10 ग्राम, सफेद जीरा 20 ग्राम। इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह को शहद के साथ सेवन करें।

25 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम लौंग, धनिया के दाने 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम। इन सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें 5 ग्राम सेंधा नमक मिलाएं तथा 3-4 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी से सुबह-शाम सेवन करें।

जावित्री, जायफल का चूर्ण 2 चुटकी तथा असगंध का चूर्ण तीन चुटकी। दोनों को मिलाकर प्रतिदिन सुबह के समय दूध के साथ सेवन करें।

पुनर्नवा 10 ग्राम, एक कप पानी में उबालें। पानी जब चौथाई कप रह जाए, तो छानकर पी लें।

सिंहनाद गुग्गुल, चोपचीनी चूर्ण तथा वात गंजाकुश रस का सेवन करें।

सोया, बच, सोंठ, गोखरू, वरना की छाल, पुनर्नवा, देवदारु, कपूर तथा गोरखमुण्डी। सबको 5-5 ग्राम लेकर तथा पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को 200 ग्राम गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर की गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 गोली गर्म पानी के साथ खाएं।

पंचतिक्त धृत गुग्गुल 1 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें।

गुडुच्यादि तेल की मालिश करें।

विषमुष्टी वटी 1 गोली तीन बार गर्म पानी से लें।

कैशोर गुग्गुल की 2 गोली तीन बार लें।

गठिया का प्राकृतिक चिकित्सा:

प्राकृतिक चिकित्सक मानते हैं कि रक्त में अम्लता का अंश बढ़ जाने के कारण जोड़ों में रक्त गाढ़ा होकर रुक जाता है। उससे उस अंग के काम करने की शक्ति रुक जाती है। अतः इसके लिए निम्न प्राकृतिक चिकित्सा करें –

सप्ताह में दो बार एनिमा लें और उपवास करें।

उपवास की अवधि में नीबू, संतरा, मुसम्मी, चकोतरा आदि फलों का रस पिएं तथा ठोस पदार्थ न खाए।

पालक, टमाटर, खीरा आदि सब्जियों का प्रयोग करें।

पीड़ा वाले अंग पर मिट्टी की पट्टी बांधे तथा वाष्प स्नान करें। वाष्प स्नान के लिए खुरैरी खाट पर लेट जाएं और उसके नीचे गर्म पानी का टब रख लें। उसकी भाप सारे शरीर को लगनी चाहिए। शरीर पर महीन कपड़ा लपेट लें। 15 मिनट तक वाष्प स्नान करें। इस प्रकार गठिया का रोग लगभग छः माह की निरंतर चिकित्सा के बाद जाता रहता है।

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