यह गांव हॉरर मूवी की याद दिला देगा, गांव के बारे में जान करके आप भी वहां जाने से डरोगेआप भी यहां जानें को न कहेंगे
तमिलनाडु का धनुषकोडी भारत का अंतिम गांव है. इस गांव को भूतियां गांव भी कहते हैं. 1964 में आए चक्रवात में रेलवे स्टेशन, यात्रियों समेत ट्रेन, अस्पताल, चर्च, स्कूल सभी कुछ समुद्र में समा गया था और इसमें 200 से अधिक लोग मारे गए थे.
यहां पर रेलवे स्टेशन था. ट्रेन रामेश्वर से धनुषकोडी 15 किमी. की दूरी तय करती थी. काम के लिए काफी संख्या में लोग ट्रेन से रामेश्वर और उससे आगे तक जाते थे. चक्रवात में पूरी ट्रेन और स्टेशन बह गया था. स्टेशन पर बने गोदाम के अवशेष आज भी यहां देखे जा सकते हैं.
यहां पर ओल्ड सिटी धनुषकोडी के बोर्ड जगह जगह मिल जाएंगे. जिसमें यहां की पुरानी इमारतों के अवशेष की फोटो लगाई गयी है. यहां आने वाले पर्यटकों को पुराने धनुषकोडी के संबंध में जानकारी हो सके और वे इन अवशेषों को देख सकें.
यहां पर रेलवे स्टेशन के अवशेष के पास संकेतक भी लगाया गया है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को स्टेशन ढूंढ़ने में उधर उधर भटकना न पड़े. यहां पर एनएच 49 से जाया जाता है, हाईवे का अंतिम छोर समुद्र पर खत्म होता है.
शाम पांच बजे के बाद गांव की ओर जाने वाले वाहनों की एंट्री रोक दी जाती है. सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है. शाम होते ही गांव खाली होने लगता है. रात में यहां पर एक भी व्यक्ति नहीं रुकता है . लोगों का कहना है कि रात में वे यहां लौट जाते हैं, आसपास के गांव में चले जाते हैं.
समुद्र के किनारे होने की वजह से पूरा इलाका रेतीला है. यहां पर टूटी फूटी झोपड़ी जरूर पड़ी है. उसमें एक्का दुक्का लोग दिखते हैं. लोगों का कहना है कि रात में वे आसपास के गांव में चले जाते हैं.