इजरायल के वो 5 लोग, जो तय करेंगे ईरान पर हमला कब और कैसे होगा? जानें- नेतन्याहू की वॉर कैबिनेट के बारे में सबकुछ

जरायल और हमास के बीच तो जंग चल ही रही थी कि अब मध्य पूर्व में एक और युद्ध का खतरा बढ़ गया है. 14 अप्रैल को ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया. ईरान का ये हमला बीती एक अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में उसके कॉन्सुलेट के हमले के जवाब में था.

कॉन्सुलेट पर अटैक के लिए ईरान ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था.

ईरानी सेना का कहना है कि उसका मकसद पूरा हो गया है और अब और हमले करने की जरूरत नहीं है. हालांकि, ईरान का ये भी कहना है कि अगर अमेरिका या इजरायल की तरफ से कोई कार्रवाई की जाती है, तो मजबूती से इसका जवाब दिया जाएगा.

वहीं, इजरायल का दावा है कि उसने ईरान की 99 फीसदी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया था. इजरायल ने ये भी कहा कि सही वक्त आने पर इसकी सही कीमत वसूल की जाएगी.

क्या ईरान पर इजरायल हमला करेगा? अगर करेगा तो कब और कैसे करेगा? ये सबकुछ वॉर कैबिनेट तय करती है. इजरायली मीडिया के मुताबिक, वॉर कैबिनेट ईरान पर हमला करने के पक्ष में है, लेकिन ये कब और कैसे होगा? इसे लेकर अभी एकराय नहीं बनी है.

ये वॉर कैबिनेट क्या है?

पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इजरायल में ‘यूनिटी गवर्नमेंट’ बनी. इस सरकार में विपक्षी नेता भी शामिल थे.

इस सरकार के गठन की अहम शर्तों में से एक ‘वॉर कैबिनेट’ बनाने की शर्त भी थी. इस कैबिनेट का मकसद गाजा में हमास के खिलाफ जंग की रणनीति तैयार करना था.

वॉर कैबिनेट में तीन सदस्य अहम हैं. इनमें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलांट, विपक्षी पार्टी के नेता बैनी गैंट्ज हैं. इनके अलावा गैडी आईसेनकोट और रॉन डर्मर को बतौर ऑब्जर्वर शामिल किया गया है.

कभी पश्चिमी मुल्कों से भी ज्यादा ‘बोल्ड’ था ईरान, कैसे एक क्रांति से बन गया कट्टर इस्लामिक मुल्क

वॉर कैबिनेट में कौन-कौन?

– बेंजामिन नेतन्याहूः लिकुड पार्टी के नेता हैं. इजरायल की सियासत में पिछले 15 साल से हावी हैं. सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं. 1996 से 1999 के बाच 2009 से 2021 तक नेतन्याहू प्रधानमंत्री रहे हैं. 2022 में वो फिर प्रधानमंत्री चुने गए थे और तब से ही इस पद पर हैं.

– योआव गैलांटः नेतन्याहू की पार्टी के सदस्य हैं. अभी इजरायल के रक्षा मंत्री हैं. इजरायली सेना में जनरल भी रहे हैं. सेना से रिटायर होने के बाद 2015 में वो राजनीति में आ गए. 2018 में गैलांट नेतन्याहू की लिकुड पार्टी से जुड़ गए.

– बैनी गैंट्जः इजरायली सेना के प्रमुख रहे हैं. गैंट्स की अगुवाई में ही 2014 में गाजा में इजरायली सेना ने जमीनी हमला किया था. उन्हें नेतन्याहू का मुख्य विरोधी माना जाता है. 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद गैंट्स इजरायल की यूनिटी गवर्नमेंट में शामिल हो गए थे.

– गैडी आईसेनकोटः इजरायल के विपक्षी नेता हैं और इजरायली सेना के प्रमुख रहे हैं. बतौर सेना प्रमुख, उनके कार्यकाल के दौरान इजरायली सेना ने सीरिया पर हमले तेज कर दिए थे, और इस कारण ईरान समर्थित लड़ाके इजरायल की सीमा के पास कब्जा करने में नाकाम हो गए थे.

– रॉन डर्मरः नेतन्याहू के बेहद करीबी सलाहकारों में इन्हें गिना जाता है. अमेरिका में इजरायल के राजदूत भी रहे हैं. उन्होंने सऊदी अरब के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अंकुश लगाने के लिए भी जाना जाता है.

वॉर कैबिनेट का काम क्या?

हमास के जंग के बाद बनी वॉर कैबिनेट का अहम काम युद्ध की रणनीति तय करना है. वॉर कैबिनेट में कुल पांच सदस्य हैं, लेकिन बाकी मंत्री और सेना से जुड़े अहम लोग भी वॉर कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेते हैं.

वैसे तो इजरायली संविधान में अभी ऐसा कोई कानून नहीं है, जो वॉर कैबिनेट के अधिकारों को परिभाषित करता हो.

लेकिन इसके बावजूद वॉर कैबिनेट काफी अहम है. यही तय करती है कि हमला कब और कैसे होगा. अगर सीजफायर भी करना है, तो उसके लिए वॉर कैबिनेट की मंजूरी लेना जरूरी होगी.

अंग्रेजों की एक ‘चिट्ठी’, हिटलर की नाजी सेना का नरसंहार… यहूदियों के अलग मुल्क इजरायल के बनने की कहानी

क्या ईरान पर हमला करेगा इजरायल?

ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ ने अमेरिकी और इजरायली मीडिया रिपोर्टों के हवाले से दावा किया है कि 14 अप्रैल की रात इजरायल की वॉर कैबिनेट ने ईरानी हमले का जवाब देने का मन बना लिया था.

हालांकि, उसी रात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायली पीएम नेतन्याहू से फोन पर 25 मिनट बात कर ईरान पर हमला करने से रोक दिया था. बाइडेन ने कथित तौर पर नेतन्याहू से कहा था कि ईरानी हमले में बहुत कम नुकसान हुआ है और इसे ही ‘जीत’ मानना चाहिए और कोई जवाब देने से बचना चाहिए.

हालांकि, इजरायल ईरान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायल की वॉर कैबिनेट ने ईरान पर जवाबी हमला करने का समर्थन किया है, लेकिन ये हमला कब और कैसे होगा, इसे लेकर राय बंटी हुई है.

द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, वॉर कैबिनेट की मीटिंग में बैनी गैंट्ज और गैडी आईसनकोट ने ईरान पर हमला करने को कहा था. लेकिन प्रधानमंत्री नेतन्याहू समेत तीन सदस्यों ने इसका विरोध किया, क्योंकि वायुसेना का फोकस इस वक्त ईरान ने आने वाली मिसाइलों और ड्रोन पर है. हालांकि, पीएमओ ने इसे खारिज किया है.

ईरान-इजरायल में कैसे बढ़ा टेंशन?

इस सबकी शुरुआत सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के कॉन्सुलेट पर हवाई हमले से हुई. ये हमला 1 अप्रैल को हुआ था. इस हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 6 सीरियाई नागरिक थे.

मारे गए लोगों में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कोर (IRGC) में ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जाहेदी भी थे. वो IRGC की ‘कुद्स फोर्स’ के अहम व्यक्ति थे. फरवरी 2020 में जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद ये दूसरी घटना है जब ईरान के टॉप कमांडर की मौत हुई है.

इस हमले के लिए ईरान ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने कहा था कि इस हमले का ऐसा जवाब दिया जाएगा कि उन्हें अपने किए पर पछतावा होगा.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *