बाबरी की खुदाई करने वाले मुस्लिम अफसर ने ज्ञानवापी के बारे में क्या बताया?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी साइंटिफिक सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की जगह भव्य मंदिर हुआ करता था. सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब के काल में हुआ. इसके बाद 1792-93 के बीच मस्जिद की मरम्मत हुई.

ASI की ताजा रिपोर्ट में क्या है?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ताजा रिपोर्ट 839 पेज की है. इस रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को हिंदू मंदिर तोड़कर बनाया गया है. मस्जिद के अंदर देवनागरी में हिंदू देवी-देवताओं के नाम वाले शिलालेख पाए गए. इसके अलावा मस्जिद के एक हिस्से के निर्माण में मंदिर के अवशेष का इस्तेमाल किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद के तहखाने में मूर्ति कला अवशेषों से संकेत मिलता है कि वहां एक बड़ा और भव्य हिंदू मंदिर मौजूद था.

आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) केस न्यायालय में विचाराधीन है. कोर्ट के आदेश पर मस्जिद के अंदर मौजूद विवादित वजूखाने को सील कर दिया गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूखाने में शिवलिंग है. जबकि मुस्लिम पक्ष इसको फव्वारा बताता रहा है. फिलहाल ASI की ताजा सर्वे रिपोर्ट के बाद ज्ञानवापी का मामला एक बार फिर गरमा गया है. हिंदू पक्ष, ज्ञानवापी पर ASI के पूर्व अफसर केके मोहम्मद का बयान साझा कर रहा है.

केके मोहम्मद, अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचे के अंदर पहली बार खुदाई करने वाली एएसआई टीम का हिस्सा थे और बाद में उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वहां मंदिर था. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में अयोध्या विवाद पर अपने फैसले में केके अफसर के बयान को बाकायदा कोट किया था.

केके मोहम्मद कहते हैं कि चाहे ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) हो या मथुरा (Mathura) का शाही ईदगाह, इन्हें हिंदुओं को सौंपना ही एकमात्र विकल्प है. सभी मुस्लिम धर्म गुरुओं को एकजुट होकर इन मस्जिदों को हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए, क्योंकि ये स्थान हिंदू पक्ष के लिए बहुत खास हैं. जहां ज्ञानवापी (Gyanvapi) भगवान शंकर से जुड़ा है तो मथुरा (Mathura) भगवान कृष्ण से. यहां की मस्जिदों के साथ मुसलमानों की कोई भावना नहीं जुड़ी है.

आपको बता दें कि केके मोहम्मद, साल 2012 में एएसआई के उत्तरी जोन के क्षेत्रीय निदेशक के पद रिटायर हुए. वह 1976 में पुरातत्वविद् बीबी लाल की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने पहली बार बाबरी मस्जिद की खुदाई की थी. मोहम्मद अब केरल के कोझिकोड में रहते हैं और तमाम किताबें लिख चुके हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *