टोल कलेक्शन ने तोड़े सारे रेकॉर्ड, 50 हजार करोड़ रुपये के हुआ पार, इस वजह से आया है उछाल

देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन में बंपर उछाल आया है। इस वित्त वर्ष में जनवरी के अंत तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। इस साल टोल कलेक्शन के 62,000 करोड़ रुपये के रेकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। टोल कलेक्शन में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। कलेक्शन में इस तेजी की वजह टोल वाली सड़कों का विस्तार और FASTag यूजर्स की संख्या बढ़ना है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में टोल वाली सड़कों में उल्लेखनीय वृद्धि और नई सड़कों को जोड़ने के कारण देश का टोल कलेक्शन 53,289.41 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है ।

इतना बढ़ा टोल कलेक्शन

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से जनवरी तक औसत मासिक टोल कलेक्शन 5,328.9 करोड़ रुपये था। यह दर्शाता है कि वित्त वर्ष 2024 में टोल संग्रह 62,000 करोड़ रुपये के रेकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की राह पर है। इस वित्त वर्ष के नवंबर के अंत तक देश में टोल वाली सड़कों की कुल लंबाई 75 फीसदी बढ़कर 25,996 किमी से 45,428 किमी हो गई है।

और होगा इजाफा

सरकार जल्द ही जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत करने जा रही है। इससे टोल कलेक्शन में और इजाफा होने की उम्मीद की जा रही है। जानकारों का मानना है कि जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन प्रणाली सरकारी राजस्व को बढ़ावा देगी। यह ड्राइवरों को वैकल्पिक रास्तों की बजाय मार्गों के बजाय टोल सड़कों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि इससे टोल सड़कों पर ट्रैफ़िक बढ़ सकता है और सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

पिछले साल नवंबर के अंत तक 79.8 मिलियन से ज्यादा FASTag जारी किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाजा पर FASTag के जरिए हर दिन का औसत टोल कलेक्शन करीब 147.31 करोड़ रुपये है।

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