नवाब रशीद मियां का मकबरा या शिव मंदिर? फर्रुखाबाद में ज्ञानवापी जैसा केस, कोर्ट में याचिका दायर
काशी के ज्ञानवापी का मुद्दा अभी सुर्खियों में बना हुआ है. अब इसी तरह का एक और मामला फर्रुखाबाद में सामने आया है. हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष ने नवाब रशीद मियां के मकबरे पर प्राचीन शिव मंदिर होने का दावा ठोंक दिया है. इसको लेकर उन्होंने फर्रुखाबाद सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में याचिका भी दायर की है. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सर्वे अमीन भेजकर आख्या मांगी है.
बता दें कि कायमगंज तहसील के मऊ रशीदाबाद में नवाब रशीद मियां का मकबरा है. इस मकबरे को लेकर अब हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप सक्सेना कोर्ट चले गए हैं. प्रदीप सक्सेना ने सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन की बेंच में एक याचिका दाखिल की है और बताया कि आज जहां पर नवाब रशीद मियां का मकबरा बना है, पहले याहं प्राचीन शिव मंदिर था.
कब तोड़ा गया था शिव मंदिर?
हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप सक्सेना ने बताया कि 1649 ई. से पूर्व इस स्थान पर शिव मंदिर था, जिसको मुगल आक्रमणकारियों ने हटा दिया था. नवाब रशीद मियां की मौत के बाद यहीं पर उनका मकबरा बना दिया गया. प्रदीप सक्सेना ने कहा कि ये इमारत अब पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. कई वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग ने यहां जीर्णोद्धार भी कराया था.
गंगेश्वर नाथ शिव मंदिर था- हिंदू जागरण मंच
प्रदीप सक्सेना ने कहा कि शिव मंदिर का नाम गंगेश्वर नाथ शिव मंदिर था. जब मुगल आक्रमणकरियों ने मंदिर को तोड़ा और मंदिर में स्थित शिवलिंग को हटाया तो यहां शमशाबाद के नवाब रशीद मियां की कब्र बना दी गई और मंदिर पर कब्जा कर लिया गया. कई बार जिलाधिकारी और पुरातत्व विभाग को इस जगह का सर्वे कराने को लेकर मांग की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
प्रदीप सक्सेना ने कहा कि अब वह कोर्ट गए हैं. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन ने सर्वे अमीन भेजकर आख्या मांगी है. बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही ज्ञानवापी के व्यास तहखाने पर वाराणसी जिला जज ने फैसला सुनाया था. उन्होंने अपने फैसले में व्यास तहखाने का ताला खोलने और पूजा-पाठ के आदेश दिए थे, जिसके बाद से वहां पर दिन में पांच बार आरती हो रही है. ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट गया है, जहां सुनवाई चल रही है.