UCC Uttarakhand: अब हिंदू हो या मुस्लिम… विवाह, तलाक, मेंटिनेंस और संपत्ति के अधिकार पर क्या कहता है UCC? जानें
जनसंघ के जमाने से रहा बीजेपी का यूनिफॉर्म सिविल कोड का सपना अब साकार होने को है. इसके ध्वजवाहक बने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसका ड्राप्ट प्राप्त हो गया है. शुक्रवार को ड्राप्टिंग कमेटी ने उन्हें चार वाल्यूम में बनाया गया यह ड्राप्ट सौंपा है. शनिवार को इस ड्राप्ट को कैबिनेट की भी हरी झंडी मिल जाएगी.
देश की सियासत में दशकों से यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा होती रही है, लेकिन इसका इम्पलीमेंट कभी हो नही सका. करीब 23 महीने पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का जो संकल्प लिया था. वो संकल्प सिद्वि को प्राप्त होने वाला है. बीस महीनों के गहन अध्ययन, रिसर्च, संवाद के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राप्ट जब मुख्यमंत्री के हाथों में आया, तो मुख्यमंत्री ने इसका श्रेय प्रधानमंत्री और उत्तराखंड की जनता को दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये शुभ दिन है और ये शुभ दिन तब आया जब भगवान सूर्य उत्तरायण में आए. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये मंगल कार्य की शुरुआत है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड विवाह, तलाक, मेंटिनेंस, संपत्ति का अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता है. व्यक्ति किसी भी धर्म,जाति, संप्रदाय का क्यों न हो, उन सबके लिए एक समान कानून है यूसीसी. हालांकि, समाज के एक बडे वर्ग में इस ड्राप्ट को लेकर शंकाए बनी हुई हैं, लेकिन जानकार कहते हैं ये शंकाएं निर्मूल है. 2015 में यूसीसी लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले याचिका दायर करने वाले वकील अश्वनी उपाध्याय का कहना है कि इसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.