बागियों पर आग बबूला हुए उद्धव ठाकरे, अयोग्यता मुद्दे पर CM एकनाथ शिंदे और स्पीकर को बहस की खुली चुनौती
महाराष्ट्र में विधायकों के अयोग्यता मामले में विधानसभा स्पीकर के फैसले के बाद शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आज जनता की अदालत लगाई. उद्धव ठाकरे ने विधायकों के अयोग्यता मामले पर शिंदे गुट को खुली बहस की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि मैं अब लड़ने के लिए उतर चुका हूं इसलिए मुझे किसी का डर नहीं है. जनता के बीच में उद्धव ठाकरे और उनके पार्टी के नेता और विवाद में उनका पक्ष रखने वाले वकीलों ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. जनता की अदालत में उद्धव ठाकरे के साथ-साथ उनकी पार्टी के नेता और वकीलों ने एक-एक कर अपनी बात भी रखी.
विधानसभा स्पीकर के फैसले का आधार ये था की 2013 और 18 में उद्धव की कार्यकारिणी की बैठक के सबूत दस्तावेज चुनाव आयोग तक न पहुंच पाना बताया गया था. लेकिन आज जनता की अदालत में उद्धव ने वकीलों के जरिए अपनी लीगल टीम के जरिए वो वीडियो और डॉक्यूमेंट दिखाए की किस तरह से 2013 में 2018 में भी चुनाव भी हुआ था और आयोग को उसके सबूत भी दिए गए थे. उद्धव ठाकरे जनता की अदालत में कहा कि स्पीकर ने एक साजिश के तौर पर सब चीज को नकार कर पार्टी का नाम और निशान शिंदे को दिया गया और चुनाव आयोग भी इसमें शामिल था.
जनता की अदालत में किसने क्या कहा जानें-
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अयोग्यता मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला सुनाया है उसे उनकी पत्नी भी मान्य नहीं करेंगी. ईमानदारी किसी कायदे और कानून की मोहताज नहीं होती है. हम ईमानदार लोग हैं और ये जनता की अदालत है. सत्य हमारे साथ होते हुए भी कैसे सत्य का खून हुआ ये हम आज आम लोगों को बताएंगे. कानूनी लड़ाई में हमारा साथ वकील असीम सरोदे और वकील रोहित शर्मा ने दिया है.
वकील असीम सरोदे ने भी रखा अपना पक्ष
विधानसभा स्पीकर के सामने उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रखने वाले वकील असीम सरोदे ने कहा है कि आज उद्धव के जनता की अदालत में उनकी पैरवी कर रहे थे. हम फैसले का कानूनी विश्लेषण करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. विश्लेषण अदालत की अवमानना नहीं है. मैं लोगों से भी अपील करूंगा कि अदालत के फैसले का विश्लेषण करना शुरू करिए.
उन्होंने कहा, भारत का संविधान एक पॉलिटिकल डॉक्यूमेंट है. विधानमंडल अस्थाई है जो हर पांच साल में बदल जाता है. शिवसेना की स्थापना बाला साहेब ठाकरे ने की थी, शिवसेना उनकी है. कानून कहता है कि भागे हुए लोगों को अपना अलग गुट बनाना चाहिए था या किसी दूसरी पार्टी में विलय होना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया इसलिए वो अपात्र हैं. राहुल नार्वेकर ने अन्याय का नाम न्याय रखा है.
दस्तावेज दिखा अनिल परब बोले अन्याय हुआ
शिवसेना यूबीटी नेता अनिल परब ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. अनिल परब ने कहा कि 2013 में कार्यकारिणी का चुनाव हुआ था उसके वीडियो भी है लेटर भी है, जो की चुनाव आयोग को उसी वक्त दिया गया था. चुनाव आयोग ने रिसीव भी किया था फिर भी आयोग ने इनकार कर दिया और नार्वेकर ने उसी को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को एक फ्रेमवर्क बना कर दिया था और कहा था कि उसी के आधार पर उन्हें फैसला लेना है, लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले के आधार पर निर्णय सुनाया है. जब चुनाव आयोग के पास केस चल रहा था तो उन्होंने जो भी डॉक्यूमेंट्स मांगे थे हमारी ओर से वो सभी उपलब्ध कराए गए थे.
यूबीटी नेताओं का दावा चुनाव आयोग ने अपनी रिसीविंग नहीं मानी
उन्होंने कहा, 2013, 2018 में शिवसेना के संविधान में जो संशोधन हुआ था उसकी जानकारी चुनाव आयोग की दी गई थी. हमारे पास उसका वीडियो भी है. वीडियो में खुद राहुल नार्वेकर भी दिख रहे हैं जो कि उस वक्त शिवसेना में थे. इसके अलावा कार्यकारिणी समिति बैठक का वीडियो भी दिखाया गया. चुनाव आयोग को दिए गए लेटर की रिसीविंग कॉपी भी दिखाई गई. इसके बाद चुनाव आयोग पलट गया कि उसे कोई जानकारी नहीं दी गई.