UK-US नहीं तो अब कहां जाएंगी शेख हसीना? बेटे ने किया बड़ा खुलासा, अफवाहों को किया खारिज
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने शनिवार को उन अफवाहों को खारिज कर दिया कि उनकी मां ने शरण के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है और वह अपनी राजनीतिक स्थिति की परवाह किए बिना बांग्लादेश में अपने गांव के घर में सेवानिवृत्त होने की योजना बना रही हैं.
एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में सजीब वाजेद जॉय ने जोर देकर कहा कि न तो उन्हें और न ही उनके परिवार को सत्ता का लालच है. उनका उद्देश्य बांग्लादेश की बेहतरी के लिए काम करना है. ये सब अफवाहें हैं, मेरी मां ने कहीं भी शरण के लिए आवेदन नहीं किया है.
देश से बाहर नहीं रहना चाहतीं हसीना
जॉय ने कहा कि उन्होंने अपना अधिकांश जीवन बांग्लादेश में बिताया है और वह देश से बाहर नहीं रहना चाहती हैं. इस कार्यकाल के अंत में उनकी योजना सेवानिवृत्त होकर अपने गांव के घर में रहने की है, चाहे वह राजनीति में हों या नहीं. वह घर वापस जाना चाहती हैं. वहीं शेख हसीना की राजनीति में वापसी की योजना के बारे में पूछे जाने पर वाजेद ने निश्चित टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए.
सत्ता या राजनीति का लालच नहीं
उन्होंने बताया कि विदेश में रहने का विकल्प होने के बावजूद, उनकी मां ने देश के प्रति अपने गहरे प्रेम के कारण बांग्लादेश में रहना चुना है. इसका (क्या हसीना राजनीति में वापसी करेंगी) मैं जवाब नहीं दे सकता, यह आपको उनसे पूछना होगा. मेरे परिवार में, मेरी मां के अलावा हममें से किसी को भी सत्ता या राजनीति का लालच नहीं रहा. मेरा बाकी परिवार विदेश में बसा हुआ है. मैं लगभग 30 वर्षों से अमेरिका में बसा हुआ हूं. लेकिन हम अपने देश के लिए काम करना चाहते हैं.
बांग्लादेश में लोकतंत्र और कानून व्यवस्था बहाल
साजिब ने बांग्लादेश में लोकतंत्र और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए अपने परिवार की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की. उन्होंने कहा, हम बैठकर अपने देश में ऐसा होते नहीं देख सकते. लोकतंत्र को बहाल करने, कानून व्यवस्था को बहाल करने, अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जो भी आवश्यक होगा, हम करेंगे. बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, साजिब ने इसे अराजक बताया, जिसमें कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है.
अल्पसंख्यकों पर हो रहे हैं हमले
उन्होंने अल्पसंख्यकों की दुर्दशा और कानून प्रवर्तन की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं है. अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. अब कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी नागरिकों पर ही डाली जा रही है. हमने अपने अवामी लीग के सदस्यों, खास तौर पर युवाओं से कहा है कि वे हमारे नेताओं की सुरक्षा करें और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की कोशिश करें. लेकिन निश्चित रूप से, पूरे देश में यह संभव नहीं है. पूरे देश में कानून लागू करने वाली एजेंसियां काम छोड़ चुकी हैं. बांग्लादेश में अभी कोई पुलिस नहीं है.