आसान भाषा में समझें, कैसे बनता है देश का बजट, क्या होता है इसका मतलब
देश का बजट तैयार करने की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस साल मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया जाना है. इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में प्री-बजट मीटिंग्स का आयोजन किया जा रहा है. ये मीटिंग बजट तैयारी के महत्त्वपूर्ण हिस्से होते हैं. बजट की तैयारी के दौरान, वित्त मंत्री विभिन्न सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स जैसे राजस्व विभाग, उद्योग संघ, किसान संघ, ट्रेड यूनियन, इकोनॉमिस्ट आदि के साथ चर्चा करती हैं. विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को भी बजट की तैयारी के लिए संबंधित जानकारी दी जाती है.
ऐसे होती है बजट की तैयारी
बजट की तैयारी में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी किया जाता है, जिसमें सभी अनुमानित वित्तीय खर्चों की जानकारी होती है. इसके बाद अलग-अलग मंत्रालयों के बीच रकमों के बारे में चर्चा होती है. फिर, फाइनेंस मिनिस्ट्री अन्य मंत्रालयों के साथ बैठक करके एक ब्लूप्रिंट तैयार करती है. इसके बाद सभी मंत्रालयों के सीनियर अधिकारी फंड आवंटन के लिए वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा करते हैं. यह प्रक्रिया बजट तैयार करने की प्रमुख पहलू होती है, जिसमें अन्य मंत्रालयों और वित्त मंत्रालय के बीच समझौता किया जाता है.
ये होता है सरकार का मुख्य फोकस
सरकार की आय के प्रमुख स्रोत टैक्स, राजस्व, जुर्माना, सरकारी शुल्क, डिविडेंड आदि होते हैं. हर साल फरवरी में पेश होने वाले केंद्रीय बजट के माध्यम से सरकार का मुख्य मकसद विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करना, आय के साधन बढ़ाना, और आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा देना होता है. इसके अलावा, सरकार गरीबी और बेरोजगारी को कम करने के लिए योजनाएं बनाती है और आधारभूत ढांचे जैसे क्षेत्रों में निवेश करती है.
क्या है बजट का इतिहास
भारत का पहला बजट आजादी के बाद, 26 नवंबर 1947 को पेश हुआ था, जिसे पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था. गणतंत्र के बाद, पहला केंद्रीय बजट 28 फरवरी 1950 को पेश हुआ था. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान, भारत का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को प्रस्तुत किया गया था, जिसे ब्रिटिश गवर्नमेंट के फाइनेंस मिनिस्टर जेम्स विल्सन ने पेश किया था.