UP: बलिया में अखिलेश को झटका देने के बाद अमित शाह से मिले पूर्व मंत्री नारद राय, BJP में हो सकते हैं शामिल

लोकसभा चुनाव में आखिरी चरण की वोटिंग से पहले समाजवादी पार्टी को पूर्वांचल में बड़ा झटका लगा है. पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री नारद राय ने सोमवार को समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. नारद के ऐलान के साथ ही अब उनके अगले कदम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. नारद राय ने सोमवार को ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर ली है. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात वाराणसी में हुई और बैठक की तस्वीर भी सामने आई है.
अमित शाह से मुलाकात के बाद नारद को लेकर चर्चा है कि वो जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे. नारद राय की गिनती सपा के बड़े नेताओं में होती रही है और अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. इस बार वो बलिया से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया, जिसकी वजह से वो नाराज चल रहे थे. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बुधवार यानी 29 मई को बलिया में होने वाली अमित शाह की रैली में नारद राय भी उपस्थित रह सकते हैं और बीजेपी का दामन भी थाम सकते हैं.
अखिलेश यादव पर अपमानित करने का लगाया आरोप
नारद राय ने कहा है कि रविवार को अखिलेश यादव के मंच पर मुझे अपमानित किया गया. समाजवादी पार्टी से हमारा कोई रिश्ता नही है. शिवपाल सिंह यादव अगर आज फोन किए होते तो मैं यह फैसला नहीं लेता. समाजवादी पार्टी का जिला अध्यक्ष और वर्तमान विधायक संग्राम सिंह ने उनके खिलाफ साजिश रची है. समाजवादी पार्टी छोडने का मुझे बहुत दुख है.
उन्होंने मुलायम सिंह यादव को अपना राजनैतिक पिता बताते हुए कहा कि जब बाप जिंदा नहीं रहता है तो राजनीति में और घर में कोई पूछने वाला नहीं मिलता है. आज कल के बाद अखिलेश यादव को भी कोई पूछने वाला नहीं मिलेगा. उन्होंने खुद को जनेश्वर मिश्र का शिष्य और राजनारायण के आदर्शों को आत्मसात करके सियासत करने वाला बताया. मुझे बदनाम करने का प्रयास किया गया और मेरी राजनीति खत्म करने की कोशिश हुई.
बलिया नगर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं नारद राय
नारद राय बलिया नगर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. वो भूमिहार समाज से आते हैं. पूर्वांचल के भूमिहारों में उनकी अच्छी पकड़ भी है. खासकर बलिया में कभी उनकी गिनती सपा के जुझारू नेताओं में होती थी. नारद राय की गिनती सपा प्रमुख मुलायम सिंह के करीबी के रूप में भी होती थी. जिसे देखते हुए उन्हें अखिलेश यादव कैबिनेट में जगह भी मिली थी. पहली बार 2002 में विधायक बने थे इसके बाद 2012 में विधायकी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे और मंत्री बने थे.
बलिया सीट से सनातन पांडेय हैं मैदान में
समाजवादी पार्टी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में बलिया लोकसभा सीट से सनातन पांडेय को उम्मीदवार घोषित किया है. सतानद पांडेय 2019 में भी सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन 15519 वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त ने बाजी मार ली थी. पिछले चुनाव में हार और जीत के अंतर को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर से सनातन पांडेय को मैदान में उतारा है.

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