UP News : यूपी में इन लोगों पर दर्ज हुए सभी मुकदमे होंगे वापस, कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने से मिलेगी बड़ी राहत
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान दर्ज हुए महामारी एक्ट सभी मुकदमे वापस हो गए हैं। इन मुकदमों में पुलिस के अलावा प्रशासनिक कर्मी भी वादी थे।
सरकार ने जनवरी 2021 में ही मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था। अन्य जिलों में एक ही साथ सारे केस वापस ले लिए गए थे।
जबकि गोरखपुर में एक-एक फाइल वापस लेने में समय ज्यादा लग गया। फिलहाल केस वापस होने से अब न सिर्फ चरित्र सत्यापन में मुकदमों का दाग धुल जाएगा बल्कि कोर्ट कचहरी के चक्कर से भी मुक्ति मिलेगी।
गोरखपुर में महामारी एक्ट यानी 188 के तहत 14452 केस दर्ज किए गए थे। वहीं गोरखपुर जोन में यह आंकड़ा एक लाख तीन हजार से भी ज्यादा का था।
इनमें सर्वाधिक मुकदमा व्यापारियों के खिलाफ दर्ज किया गया था। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी और बिना अनुमति के दुकान खोलने की मनाही थी।
यही नहीं कुछ दुकानों को तय रोस्टर के हिसाब से खोला जा रहा था। पर कई ऐसे दुकानदार थे जो बिना किसी रोस्टर के ही अपनी दुकान खोल दे रहे थे.
यही नहीं दुकान खोलने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तथा मास्क लगाने का भी निर्देश था। किसी को अपनी दुकानों पर भीड़ नहीं जमा करनी थी।
इन सब मामलों में जिन लोगों ने उल्लंघन किया उनके खिलाफ पुलिस ने महामारी एक्ट में केस किया था। महामारी एक्ट में केस दर्ज होने से जिले में मुकदमे की संख्या एका-एक बढ़ गई थी।
महामारी एक्ट के विवेचना को 72 घंटे में निस्तारित करने का अभियान चलाया गया था जिसके बाद इन मुकदमों का पर्चा कार्ट कर विवेचना निस्तारित की गई।
ज्यादातर में चार्जशीट लगा दी गई थी। मानिटरिंग सेल के इंस्पेक्टर सुदेश कुमार शर्मा ने बताया कि उनके यहां से सभी केस निस्तारित कर दिया गया है।
पासपोर्ट सत्यापन में फंस रहा था पेंच
महामारी एक्ट के यह मुकदमे जब दर्ज किए गए तब तो किसी को कुछ नहीं पता चला क्योंकि पुलिस ने नाम-पता नोट किया और केस दर्ज कर चार्जशीट लगाकर कोर्ट में भेज दिया।
पर जब पासपोर्ट, नौकरी सहित अन्य मामलों में चरित्र सत्यापन की बात आई तब काफी लोगों को पता चला कि उनके खिलाफ तो मुकदमे का दाग है। इस मुकदमे से काफी संख्या में लोगों के पासपोर्ट तक नहीं बन पा रहे थे।
धारा 188, महामारी एक्ट
सरकार ने कोरोना काल में लॉकडाउन लगाया था। यह घोषणा महामारी एक्ट यानी एपिडमिक डिजास्टर एक्ट 1897 के तहत की गई थी। इस एक्ट के अनुसार अगर कोई शख्स लॉकडाउन का उल्लंघन करता है,
तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
क्या बोली पुलिस
प्रभारी एसएसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि कोरोना के दौरान महामारी एक्ट में दर्ज मुकदमों का पुलिस के स्तर से निस्तारण कर दिया गया है। महामारी एक्ट से जुड़े मामले में अब किसी के चरित्र सत्यापन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।