UP Politics: अखिलेश यादव के फैसले से सच साबित हुई स्वामी प्रसाद मौर्य की बात, अब लगी आरोपों पर मुहर
समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में अपने प्रत्याशियों की तीन सूचियां जारी कर दी है. इनमें कुल 31 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया गया. बदायूं सीट पर सपा ने अपने प्रत्याशी को बदल दिया और अब वाराणसी से भी उम्मीदवार को वापस लेगी. अखिलेश यादव के इस फैसले के बाद एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य के आरोप साबित होते दिख रहे हैं, जो उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा देते वक्त अखिलेश यादव पर लगाए थे.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 13 फ़रवरी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज होकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. मौर्य ने एक लंबी-चौड़ी चिट्ठी लिखकर पत्र में अखिलेश यादव के कई फैसलों पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए थे. इनमें से एक आरोप ये भी था कि सपा अध्यक्ष बार-बार अपने प्रत्याशी या सिंबल बदल देते हैं. उन्होंने इसके लिए 2022 विधानसभा चुनाव का ज़िक्र किया और कहा कि इन चुनावों में कई प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद भी अचानक प्रत्याशी बदल दिए थे, बावजूद इसके उनकी कोशिशों के चलते पार्टी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने उठाए थे सवाल
बार-बार प्रत्याशियों को बदलने का स्वामी प्रसाद मौर्य का ये आरोप एक बार फिर से सही साबित होता दिख रहा है. सपा ने कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं होने से पहले ही अपने प्रत्याशियों का एलान करना शुरू दिया था. पहली सूची में बदायूं सीट से अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के नाम का एलान किया लेकिन तीसरी सूची में यहां से प्रत्याशी बदलते हुए शिवपाल यादव को उम्मीदवार बना दिया गया.
इसी तरह सपा ने वाराणसी से भी सुरेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बना दिया था, लेकिन कांग्रेस से गठबंधन के बाद ये सीट उनके खाते में चली गई है. सपा ने यूपी की 80 सीटों में से 17 सीटें कांग्रेस को दी है. इनमें से एक वाराणसी सीट भी है. ऐसे में अब सपा को वाराणसी से अपना उम्मीदवार वापस लेना पड़ेगा और यहां अब कांग्रेस का प्रत्याशी होगा.