बांग्‍लादेश में करता था मजदूरी, भारत आते ही पलटी किस्‍मत, UAE में तकदीर ने खेला ऐसा खेल कि

बांग्‍लादेश के लोहागढ़ इलाके में रहने वाले देवाशीष पॉल का गुजर बसर मजूदरी से चल रहा था. कमरतोड़ मेहनत करने के बावजूद उसके लिए दो जून की रोटी कमाना मुश्किल हो जाता था. वह कुछ भी करके कुछ ऐसा करना चाहता था कि उसके जीवन से यह आर्थिक तंगी चली जाए. इसी बीच, उसे अपने एक चाचा पारितोष पॉल की याद आई, जिसकी हालत कभी उसकी तरह ही थी. करीब 35 साल पहले पार‍ितोष पॉल अवैध तरीके से भारतीय सीमा में घुसा था.

बीते 35 सालों में उसके चाचा पारितोष पॉल ने पश्चिम बंगाल के चौगासा इलाके में न केवल अपना घर बना लिया था, बल्कि आज उसके पास जीवन में जरूरत की हर चीज थी. देवाशीष ने भी मन ही मन यह तय कर लिया कि वह कुछ भी करके न केवल भारत जाएगा, बल्कि अपने हाथों से गरीबी की रेखा मिटा कर रहेगा. चूंकि देवाशीष के पास इतने रुपए नहीं थे कि वह जायज तरीके से भारत आ सके. लिहाजा, 2020 में उसने मेघालय के रास्‍ते भारत में घुसपैठ की और चौगासा पहुंच गया.

चौगासा में क्‍या हुआ देवाशीष पॉल के साथ?आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी उषा रंगनानी के अनुसार, चाचा पारितोष की मदद से देवाशीष को न केवल चौगासा में काम मिल गया, बल्कि उसकी माली हालत अब सुधरने लगी. लेकिन, देवाशीष की कमाई की भूख कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही थी. इस भूख को शांत करने के लिए देवाशीष इधर-उधर हाथ मारने लगा. तभी, उसकी मुलाकात असित एक ऐसे शख्‍स से हुई, जो यूएई भेजने के सपने बेचता था. देवाशीष की बेचैनी देख असित ने उसे भी अबूधाबी का सपना बेच दिया.

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