Varanasi News: 700 महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा, पालकी पर सजी जगद्गुरु की झांकी

जगद्गुरु रामानंदाचार्य प्राकट्य महोत्सव के समापन पर शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान पालकी पर जगद्गुरु की झांकी सजी। 700 से अधिक महिलाएं सिर पर मंगल कलश लेकर चल रही थीं। वहीं श्रद्धालु वाद्ययंत्रों पर थिरकते रहे। जगद्गुरु रामानंदाचार्य के प्राकट्य महोत्सव और श्रीरामकथा के समापन पर अस्सीघाट से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। सुसज्जित पालकी पर जगद्गुरु का विशाल चित्रपट था। गुरु का संदेश देते हुए साधु, संतों और बटुकों की मंडलियां चल रही थीं तो देवों की झांकी देव दर्शन करा रही थीं। हाथ में धर्म ध्वज लिए भक्त विविध वाद्ययंत्रों पर झूमते और 700 से अधिक महिलाएं सिर पर मंगल कलश लेकर चल रही थीं।

 

कलश में गंगाजल लेने के बाद श्रीरामानंद विश्व हितकारिणी परिषद काशी व वैष्णव विरक्त संत समाज बैनर तले श्रीराम मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी रामकमल वेदांती की अगुवाई में अस्सीघाट से शोभायात्रा निकाली गई। रामानंद संप्रदाय के अनुयायी और साधु-संत कंधे पर पालकी लेकर चल रहे थे। डमरूदल, शहनाई और बैंडबाजे पर भक्ति धुन बिखर रही थी। घोड़े पर प्रभु श्रीराम व शिव दरबार के स्वरूपों की झांकी सजी थीं। मार्ग में लोगों ने पुष्पवर्षा और आरती उतारी।

 

 

डीजे की धुन पर नर्तक मंडलियां राधा-कृष्ण की लीलाओं को जीवंत कर रही थीं। संस्कृत के छात्र, बटुक और ब्रह्मचारी वैदिक मंत्रोच्चार और भजन

कीर्तन कर रहे थे। यात्रा रविदास गेट, दुर्गा मन्दिर, कबीर नगर, खोजवां होते हुए गुरुधाम स्थित राम मंदिर पहुंची, जहां आरती उतारी गई।

रामानंदाचार्य ने समाज से छुआछूत को मिटाया

अखिल भारतीय संत समाज के मंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, कबीर मूलगादी मठ के महंत विवेक दास, अवधकिशोर दास, रामदास आदि ने कहा कि रामानंदाचार्य महाराज ने अपने जीवन दर्शन से सनातम धर्म को ऊंचाई पर पहुंचाया। उन्होंने प्रयाग में जन्म लिया लेकिन काशी को कर्मभूमि बनाई।

उन्होंने पाखंडवाद का खंडन किया और सबको पूजा का अधिकार दिलाया। मुगल काल में जब सनातन छिन्न-भिन्न हो गया था। तभी रामानंद जी का प्रादुर्भाव हुआ और वह संघर्ष के बाद सनातन के अस्तित्व को बचाया। अध्यक्षता स्वामी रामकमल दास वेदांती महाराज ने की। संचालन महंत बालक दास ने किया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

पार्थिव शिवलिंग की पूजा से पूर्ण होती है मनोकामना

वाराणसी। कथा व्यास पं. दिनेश आचार्य ने कहा कि पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने से मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। वह शुक्रवार को सोनारपुरा स्थित कालीबाड़ी मंदिर प्रांगण में शिवमहापुराण कथा के पांचवें दिन प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की भक्ति करने वाला राम का भक्त होता है और राम की भक्ति करने वाला ही शिव का भक्त होता है। कथा के अंत में यजमान नरेंद्र कुमार ओझा ने पोथी की आरती कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया। इस दौरान आशुतोष, श्रुति, राजेंद्र द्विवेदी, दिनेश पांडेय आदि थे।

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