विजय कुमार सिन्हा का आरएसएस से रहा है पुराना नाता, जानें राजनीतिक सफर
बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को क्रमशः विधायक दल का नेता और उपनेता चुना गया है. बिहार में लंबे समय से पिछड़े वर्ग की राजनीति चल रही है. इस ओबीसी पॉलिटिक्स के बीच बीजेपी ने अगड़ी और पिछड़ी की सोशल इंजीनियरिंग करने की कोशिश की है. विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम का ताज सौंपा है. सम्राट चौधरी पिछड़े वर्ग के कुशवाहा जाति के हैं, तो विजय कुमार सिन्हा भूमिहार हैं.
इसके साथ ही विधायक दल की बैठक में बीजेपी विधायकों ने जेडीयू के समर्थन से राज्य में एनडीए सरकार बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. ये दो उपमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मातहत में काम करेंगे. आइए जानते हैं कि कौन हैं विजय सिन्हा?
RSS से विजय कुमार सिन्हा है पुराना नाता
पचपन वर्षीय विजय कुमार सिन्हा बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. साल 2005 में पहली बार विधायक बने थे, लेकन छह माह के बाद ही राष्ट्रपति शासन लग गया और नवंबर में फिर चुनाव हुए थे. उन्हें पराजय मिली थी. फिर वह 2010 से भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने और तब से वह लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.
वह 25 नवंबर 2020 से 24 अगस्त 2022 तक बिहार विधानसभा के स्पीकर पद भी रहे थे. विजय सिन्हा ने वर्तमान सत्तारूढ़ महागठबंधन द्वारा उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
विजय कुमार सिन्हा का जन्म साल लक्खीसराय के तिलकपुर में 5 जून 1967 को हुआ था. वह साल 1982 में आरएसएस से जुड़ गए थे. विजय कुमार सिन्हा साल 2005 में पहली बार लखीसराय विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे. 2010 से वह लगातार इस सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं.
भूमिहार जाति के हैं विजय कुमार सिन्हा
विजय कुमार सिन्हा इससे पहले साल भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार में वह साल 2017 से साल 2020 के दौरान श्रम संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं. वह काफी सुलझे हुए व्यक्ति माने जाते हैं और काफी सोच समझ कर अपनी रणनीति बनाते हैं.
विजय कुमार सिन्हा भूमिहार जाति के हैं और उन्हें डिप्टी सीएम का पद देकर बीजेपी ने एक साथ फॉरवर्ड क्लास और पिछड़ी जाति दोनों साधने का काम किया है और एक तरह से नयी सोशल इंजीनियरिंग की है.
बता दें कि इस साल लोकसभा चुनाव है और बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल करने लक्ष्य रखा है. इस तरह से अगड़ी और पिछड़ी जातियों की सोशल इंजीनियिरंग से वह अपना लक्ष्य हासिल करना चाहती है.