वायरल कंजक्टिवाइटिस- बरसात आई तो आंख आई, नेत्रों की देखभाल जरूरी

आंखों का संक्रमण या आंख आना या आई फ्लू एक नेत्र रोग है, जिसे वायरल कंजक्टिवाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। यह संक्रमण आंखों में जलन और दर्द पैदा करता है। यह एक आंख से शुरू होकर जल्द ही दूसरी आंख में भी फैल जाता है।

बरसात के इस मौसम में जब हवा में नमी और धूप में तीखापन बढ़ जाता है, तब आंखों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इन दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में आंखों का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में आंखों की विशेष देखभाल की जरूरत रेखांकित की जा रही है। आंखों का संक्रमण या आंख आना या आई फ्लू एक नेत्र रोग है, जिसे वायरल कंजक्टिवाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। यह संक्रमण आंखों में जलन और दर्द पैदा करता है। यह एक आंख से शुरू होकर जल्द ही दूसरी आंख में भी फैल जाता है।

 

लक्षण

आंख आने के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, जैसे- आंखों का लाल होना और सूज जाना, आंखों से पानी निकलना, धुंधला दिखना, पलकों पर सूजन होना, पलकों का चिपक जाना, आंखों में तेज खुजली और दर्द होना, आंखों में रेत की तरह किरकिरी होना, सूरज की रोशनी या तेज रोशनी के प्रति असंवेदनशीलता आदि लक्षण प्रमुख हैं।

कारण

आंखों में यह संक्रमण वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। वायरल कंजक्टिवाइटिस सबसे सामान्य कारण है। लगभग नब्बे फीसद आंखों का संक्रमण एडेनो वायरस के कारण होता है। इसके अलावा विभिन्न स्रोतों से आंखों में पहुंचे बैक्टीरिया भी आंखों को संक्रमित करते हैं। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में आमतौर पर आंख में मवाद जैसा सफेद गाढ़ा पदार्थ बनता है।

यह एक भ्रम है कि संक्रमित व्यक्ति की आंखों में देखने से भी वायरस फैलता है। अगर कोई संक्रमित आंखों को छूता है, तो अंगुलियां संक्रमित हो जाती हैं और अगर ये अंगुलियां किसी अन्य व्यक्ति की आंखों के संपर्क में आती हैं, तो वह भी संक्रमित हो सकता है। स्वीमिंग पूल में तैरने से भी कोई प्रभावित हो सकता है।

 

बचाव

आंख आने पर कुछ सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है। आंखों को छुएं या रगड़ें नहीं। हाथों को नियमित रूप से साबुन और गर्म पानी से धोएं या हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। हमेशा सोने से पहले कांटैक्ट लेंस हटा दें। चश्मा साफ रखें। दूसरे लोगों के साथ अपना सामान जैसे तौलिया, तकिया, मेकअप, कांटैक्ट लेंस आदि साझा न करें। तरण ताल में चश्मे का उपयोग करें और संक्रमण होने पर तैराकी न करें। आंखों को दिन में दो से तीन बार ताजा पानी से साफ करें। पहले से ही इस्तेमाल किए गए तौलिए या रूमाल के इस्तेमाल से बचें।

 

उपचार

ज्यादातर आंखों का संक्रमण दो सप्ताह के भीतर उपचार के बिना भी ठीक हो जाता है। हालांकि इसके लक्षण गंभीर होने पर दवाएं ली जानी चाहिए। ज्यादातर मामलों में सामान्य सावधानी और घरेलू उपचार से आंखों का संक्रमण दूर हो जाता है। संक्रमण होने पर गहरे रंग वाला चश्मा लगाएं। अपनी आंखें बंद करें और पलकों के ऊपर साफ कपड़े में बर्फ रखकर ठंडा सेंक दें। एंटी-एलर्जी आई ड्राप दिन में तीन बार लगाएं। आंखों का चिपचिपापन दूर करने के लिए हल्के गर्म पानी में डूबा हुआ साफ कपड़ा दिन में कई बार लगाया जा सकता है।

घरेलू उपचार

गुलाब जल: गुलाब जल से आंखें धोने से संक्रमण कम होता है। गुलाब जल की दो बूंद आंखों में दिन में दो बार डालें।

नीम का पानी: पानी में नीम की पत्तियां उबालें और उस पानी से आंखें धोएं। पानी को किसी बर्तन में निकालिए और हल्का ठंडा कर लीजिए फिर आंखों को धोइए।

आंवले का रस: आंवले का रस निकाल लें और उस रस को एक गिलास पानी में पिएं। आंवले के रस का प्रयोग सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले दिन में दो बार करना चाहिए।

शहद और पानी का इस्तेमाल: एक गिलास पानी में दो चम्मच शहद मिलाएं और फिर उस पानी से अपनी आंखों को साफ करें।

पालक और गाजर का रस: पालक के पत्तों को पीसकर उसका रस निचोड़ लें और दो गाजर पीसकर उसका रस निकाल लें। एक गिलास पानी में गाजर और पालक का रस मिलाकर पी लें। रोजाना ऐसा करने से आंखों का संक्रमण कम होने लगता है। आंखों के संक्रमण के लिए पालक और गाजर का रस बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इनमें पाए जाने वाले विटामिन आंखों के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

हल्दी और गर्म पानी: दो चम्मच हल्दी पाउडर को दो से तीन मिनट तक गर्म करें। उस हल्दी को एक गिलास गर्म पानी में मिला लें। रूई की मदद से आंखों को साफ करें।

आलू: एक आलू को पतले टुकड़ों में काट लें। रात को सोने से पहले कटे हुए आलू को दस मिनट के लिए आंखों पर लगाएं और फिर निकाल दें। आलू में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है, जो आंखों के संक्रमण को ठीक करता है।

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