झारखंड में ‘वोट ऑफ कॉन्फिडेंस’ ने बढ़ा दी है चंपई सोरेन सरकार की टेंशन, क्यों बन गए हैं ऐसे हालात, जानिए अंदर की बात
मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तारी से पहले ही झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन ने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुना। 31 जनवरी की रात ही चंपई सोरेन ने राज्यपाल से मिल कर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। तकरीबन 20-22 घंटे बाद आखिरकार 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ दो और मंत्रियों ने भी शपथ ली। तीनों दलों के गठबंधन में कुल 47 विधायक हैं, लेकिन चंपई ने 43 विधायकों के समर्थन की ही परेड राज्यपाल के समक्ष कराई थी।
झारखंड में नई सरकार के समर्थन का गणित जानिए
मौजूदा विधानसभा में जेएमएम के 29 विधायक हैं। कांग्रेस के 17 और आरजेडी के एक विधायक हैं। तीनों दलों ने बिहार की तर्ज पर झारखंड में महागठबंधन बना कर चुनाव लड़ा था। बहुमत मिलने पर महागठबंधन की सरकार भी बन गई थी। महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते जेएमएम नेता हेमंत सोरेन ने 11वें सीएम के रूप में शपथ ली थी। यानी गठबंधन के विधायकों की कुल संख्या 47 होती है। चंपई सोरेन ने सरकार बनाने के लिए 43 विधायकों के दस्तखत वाला समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा था। राज्यपाल की हरी झंडी मिलने में विलंब को देखते हुए विधायकों की राजभवन में चंपई ने परेड भी कराई थी।
संदेह के बिंदु- कहां गए गठबंधन के चार विधायक!
पहला संदेह तो यहीं पैदा होता है कि महागठबंधन में 47 विधायकों के रहने के बावजूद सिर्फ 43 विधायकों के दस्तखत वाला समर्थन पत्र चंपई सोरेन ने राज्यपाल को क्यों सौंपा ? यह अलग बात है कि बहुमत के लिए 81 सदस्यों वाली विधानसभा में महज 41 विधायकों के समर्थन की ही जरूरत है। इस हिसाब से बहुमत के आंकड़े तो पर्याप्त दिखते हैं। पर, चार विधायकों का समर्थन पत्र पर दस्तखत न करना महागठबंधन में सब कुछ ठीक न होने का शक तो पैदा करता ही है। प्रत्यक्ष तौर पर जेएमएम विधायक सीता सोरेन, लोबिन हेम्ब्रम और चमरा लिंडा की नाराजगी दिखती है। तीनों हेमंत सोरेन की पूर्वर्ती सरकार से हमेशा नाराज ही रहे। पार्टी विधायक दल की बैठकों में भी शामिल होने से वे परहेज करते रहे हैं। हालांकि रविवार को लोबिन हेम्ब्रम ने जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन से मुलाकात के बाद चंपई सोरेन सरकार को समर्थन देने का भरोसा दिलाया।