25 सालों से घात लगाकर बैठी थी पुलिस, ‘बिल’ से निकलते ही दबोची गई ‘खिलाड़न’, चीन से रची थी यह बड़ी साजिश

करीब 25 साल पहले इस मामले की शुरूआत पड़ोसी मुल्‍क चीन से हुई थी. चीन में बैठ कर कुछ लोगों ने एक साजिश रची थी. इसी साजिश को अंजाम देने के लिए मकसद से गुरुदीश सिंह 25 साल पहले 24 जुलाई की रात दिल्‍ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचा था. गुरुदीश अपने मकसद में सफल हो पाता, इससे पहले वह इमीग्रेशन ब्‍यूरो के हत्‍थे चढ़ गया. पूछताछ में गुरुदीश की भूमिका बेहद संदिग्‍ध पाए जाने के बाद इमीग्रेशन ब्‍यूरो ने उसे आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया ।

आईजीआई एयरपोर्ट की ऊषा रंगनानी के अनुसार, यह पूरा मामला अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने से जुड़ा हुआ है. आईजीआई एयरपोर्ट से गिरफ्तार हुआ गुरुदीश भी इसी कड़ी का हिस्‍सा था. दरअसल, 24 जुलाई 2009 की रात इमीग्रेशन ब्‍यूरो ने जगदीश सिंह के पासपोर्ट पर लगे कनाडा के वीजा को फर्जी पाया था. इसी आधार पर उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, जिसमें चीन में रची गई साजिश और उसमें शामिल सभी लोगों के नाम का खुलासा हुआ, जिसमें अशोक, सुखदेव सिंह और राजविंदर उर्फ राज कौर के नाम सामने आए.

चीन में इन तीन लोगों के साथ मिलकर तैयार की साजिश

डीसीपी ऊषा रंगनानी ने अनुसार, पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि वह मूल रूप से पंजाब के मोंगा जिले के दत्‍ता गांव का रहने वाला है. चीन में मुलाकात के दौरान, अशोक, सुखविंदर और राजविंदर ने जैसा कहा, वह वैसा ही करता चला गया. पूछताछ में उसने यह भी बताया कि आरोपी सुखदेव सिंह और राजविंदर पति-पत्‍नी हैं. इस खुलासे के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी. पुलिस इन तीनों के पास पहुंचती, इससे पहले गुरुदीश की गिरफ्तारी की बात इन तीनों तक पहुंच गई.

एयरपोर्ट पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद तीनों आरोपी गिरफ्त में नहीं आ सके. चार साल चली कवायद के बाद भी जब तीनों पुलिस की गिरफ्त से बाहर रहे, तब कोर्ट ने 2012 और 2013 में तीनों आरोपियों को भगोड़ा घोषित कर दिया. इसके बाद, साल दर साल समय बीतता गया और पुलिस तीनों को गिरफ्तार करने की कोशिशों में लगी रही. पुलिस ने अभी भी टेक्निकल सर्विलांस के साथ मुखबिरों की टोली इनकी तलाश में लगा रखी थी. 25 साल के लंबे इंतजार के बाद अचानक पुलिस के हाथ एक अच्‍छी खबर लगी.

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