Income Tax Raid के दौरान जब्त रकम पर क्या होती है कार्यवाही, जान लें घर में मौजूद लोगों के अधिकार
जिस पार्टी का सर्वे हो रहा है या जिस मामले में हो रहा है, अगर उसमें उसकी प्रासंगिकता नहीं है, तो उसकी कॉपी नहीं की जा सकती. इस तरह से ब्लैंकेट मैनर या ओमनिबस मैनर में इन्हें ये सब करने का अधिकार नहीं है.
लेकिन ये गलती करते हैं, ज्यादती करते हैं. सर्वे में पहले उन्हें एक-एक डॉक्यूमेंट को वैरीफाई करना चाहिए. उसके बाद उसे कब्जे में लेना चाहिए. क्या सर्च और रेड के दौरान मोबाइल को कॉपी किया जा सकता है?
इस सवाल पर डॉ. राकेश गुप्ता कहते हैं कि ऐसे में भी पूरे डिवाइस को कॉपी करने का अधिकार नहीं है. उनको पहले डिसाइड करना होगा. पहली बात तो ये है कि ये बुक्स ऑफ अकाउंट नहीं है.
ये एक इलेक्ट्रिक डॉक्यूमेंट है, जो सर्वे या सब्जेक्ट से संबंधित है तो भी पूरी तरह से कॉपी नहीं होगा. ये किसी की प्राइवेसी को भंग नहीं कर सकते. किसी की निजता को भंग करने की शक्ति नहीं है.
वित्तीय और आयकर मामलों के जानकर सर्वेश कुमार बाजपेयी (सीए) का कहना है कि कोई भी सर्वे सूर्य उदय के बाद ही शुरू किया जा सकता है. सूर्यास्त होने के बाद कारोबारी चाहे तो सर्वे को बंद करा सकता है.
ऐसे में आयकर विभाग की टीम सभी दस्तावेजों को सीज करके जाएगी और अगले दिन वापस आकर सर्वे की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगी. हालांकि रेड और सर्च में ऐसा प्रावधान नहीं है.
सर्वे के दौरान मोबाइल फोन की क्लोनिंग या कॉपी किए जाने के सवाल पर सीए बाजपेयी बताते हैं कि ऐसी कार्रवाई के दौरान कम्प्यूटर का डाटा तो लिया जा सकता है. आजकल फोन भी उसी श्रेणी में आ गया है.
आज फोन भी कम्प्यूटर का ही काम कर रहा है. जो डाटा कम्प्यूटर में होता है, उससे ज्यादा डाटा फोन में होता है. सर्च के दौरान तो सभी डिवाइस का डाटा लिया जा सकता है, लेकिन सर्वे में इसे पूरी तरह नहीं किया जा सकता.
अगर पार्टी या कारोबारी ये सिद्ध कर देता है कि फोन उसके कारोबारी परिसर या कारोबार से नहीं जुड़ा है और वह पर्सनल फोन है तो फिर ऐसा नहीं किया जा सकता. लेकिन अगर वो बिजनेस से संबंधित फोन है, तो आयकर विभाग ऐसा कर सकता है.
इस एक्ट के तहत होती है कार्रवाई
आयकर विभाग (income tax) किसी भी सर्वे, रेड या छापेमारी की कार्रवाई को आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act 1961) की धाराओं के तहत अंजाम देता है.
यह एक्ट कर योग्य आय, कर देयता, अपील, दंड और अभियोजन तय करने में मददगार साबित होता है. इसी एक्ट में आयकर विभाग के अधिकारियों की शक्ति और कर्तव्यों को भी परिभाषित किया गया है. इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन भी किए गए हैं.
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132
आयकर अधिनियम की धारा 132 संबंधित अधिकारियों को सर्च या रेड का अधिकार प्रदान करती है. इसी के तहत विभाग के अधिकारी किसी दफ्तर, प्रतिष्ठान या परिसर में तलाशी या छापे की कार्रवाई को अंजाम देते हैं. यही धारा अधिकारियों को मामले संबंधित दस्तावेज और सबूत जब्त करने का अधिकारी भी देती है.
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 133
आयकर अधिनियम में धारा धारा 133 (6) मूल्यांकन अधिकारियों (Assessment officers) को जांच की शक्ति प्रदान करती है. जांच की शक्ति के तहत पूछताछ करना और नकद जमा का सत्यापन भी शामिल होता है.
वहीं इस अधिनियम की धारा 133ए संबंधित अधिकारियों को सर्वेक्षण की शक्ति प्रदान करती है. जिसके तहत वह अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी भी स्थान या किसी भी व्यक्ति के कब्जे वाले किसी भी स्थान पर प्रवेश का अधिकार रखता है. इसी धारा के तहत सर्वे किया जाता है.
इसलिए होती है कार्रवाई
आयकर विभाग (income tax news) देश के वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है. यह विभाग उन लोगों को चिन्हित करता है, जो आयकर में घपला करते हैं. मतलब कि वो लोग जिनकी आय और कर में अंतर मिलता है.
या जिन लोगों पर कर चोरी का शक होता है. या जिनके पास ब्लैक मनी होने की गुप्त सूचना मिलती है, तो ऐसे सभी तरह के मामलों में आयकर विभाग छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देता है.
गुप्त होती है छापे की कार्रवाई
आयकर विभाग जब किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या किसी संस्थान या परिसर में छापेमारी की योजना बनाता है, तो उसकी यह कोशिश होती है कि किसी को इस बात की कानो-कान खबर ना हो.
जिस व्यक्ति या संस्थान में छापेमारी की जानी है, उसे इस बात का जरा भी अंदाजा ना हो. ताकि उसे संभलने का मौका ना मिले. आयकर विभाग की टीम रेड के दौरान तलाशी का वारंट भी साथ लाती है.
छापेमारी की कार्रवाई सुबह सवेरे या फिर देर रात में की जाती है. इस दौरान टीम के साथ पुलिस भी होती है, ताकि कार्रवाई के दौरान कोई दिक्कत ना हो. कई बार तो छापे के दौरान भारी पुलिस बल या अर्धसैनिक बल बुलाया जाता है.
रेड के दौरान प्रतिबंध
जब आयकर विभाग की टीम (income tax team) किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या संस्थान में रेड करती है, तो सबसे पहले वो वहां मौजूद सभी लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लेती है. इसके बाद उस घर या परिसर के सभी दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं.
ताकि कार्रवाई के दौरान ना तो कई घर से बाहर जा सके और ना ही कोई अंदर आ सके. आयकर विभाग की टीम में महिला अधिकारी और कर्मचारी भी होती हैं. ताकि वे ज़रूरत पड़ने पर मौके पर मौजूद महिलाओं की तलाशी ले सकें.
दस्तावेजों की जांच
जिस जगह छापेमारी की जा रही है, वहां मौजूद कैश, गहने और कीमती सामान का लेखा-जोखा और दस्तावेज की जांच की जाती है. ज़रूरत पड़ने पर आयकर विभाग की टीम उस सामान से जुड़े दस्तावेजों को अपने साथ भी ले जा सकती है.
जब्ती का नियम
अगर छापेमारी किसी दुकान या शोरूम में की जा रही है, तो वहां बेचने के लिए जो सामान रखा होता है, उसे आयकर अधिकारी जब्त नहीं कर सकते. लेकिन उस सामान की जानकारी कागजों पर दर्ज कर सकते हैं.
साथ ही उस सामान से जुड़े दस्तावेज जब्त कर सकते हैं. अगर छापेमारी के दौरान कैश या गहने मिलते हैं और उसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास है तो अधिकारी उसे भी जब्त नहीं करते.
जब्त रकम पर ये होती है कार्रवाई
अगर छापेमारी के दौरान किसी जगह से अघोषित पैसा या गहने आदि मिलते हैं, जिसका हिसाब किताब या कोई दस्तावेज संबंधित व्यक्ति या संस्थान के पास उस वक्त मौजूद नहीं है, तो आयकर विभाग की टीम उसे जब्त कर सकती है.
पैसा जब्त होने के बाद सीधे बैंक में जाता है और वहां सरकारी एकाउंट में जमा किया जाता है. फिर जांच में अगर टैक्स लायबिलिटी क्रिएट होती है. तो उसका एसेसमेंट होता है.
एसेसमेंट के बाद जो टैक्स डिमांड निकलती है. उसे ट्रायब्यूनल में सेटल किया जाता है. इसके बाद जो पैसा बचता है, उसे पार्टी को ब्याज समेत वापस किया जाता है. कुछ मामलों में ऐसी रकम केस की सुनवाई पूरी होने तक विभाग की टीम अपने पास रखती है.
कोड वर्ड का इस्तेमाल
किसी भी स्थान पर छापेमारी की कार्रवाई को सफलता पूर्वक अंजाम देने के लिए आयकर विभाग के अधिकारी पूरी प्लानिंग करते हैं. इस गोपनीय कार्रवाई को इस तरह से पूरा किया जाता है.
कि संबंधित टीम के अलावा विभाग के लोगों को भी इसकी भनक नहीं लगती. ऐसे किसी भी ऑपरेशन के लिए सीक्रेट कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है.
काम में बाधा नहीं डाल सकते
छापेमारी के दौरान कोई भी व्यक्ति आयकर अधिकारियों के काम में बाधा या अवरोध नहीं डाल सकता. उनका विरोध भी नहीं कर सकता. अगर कोई आयकर विभाग की टीम का विरोध करता है या उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
जहां छापेमारी की जा रही हो, वहां मौजूद सभी लोगों से अधिकारी उनके रिश्ते के बारे में पूछते हैं. सभी संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज मांगते हैं. अगर संबंधित व्यक्ति के पास लॉकर है तो उसकी चाबी भी उसे देनी होगी.
सबूत नहीं मिटा सकते
घर, दफ्तर या परिसर में छापेमारी के दौरान मौजूद कोई भी शख्स किसी भी दस्तावेज को मिटाने, फाड़ने या नष्ट करने की कोशिश नहीं कर सकता. उसे कार्रवाई के दौरान मौजूद अधिकारियों के सवालों का जवाब भी देना होता है. ऐसा ना करने पर उसके खिलाफ एक्शन हो सकता है.
नागरिकों के अधिकार
छापेमारी की कार्रवाई अगर घर, दफ्तर या कंपनी में की जा रही है तो, वहां रहने वाले व्यक्ति आयकर अधिकारियों से सर्च वारंट और उनके आईडी कार्ड जांच के मकसद से मांग सकते हैं.
जिनके यहां छापेमारी की जा रही है, वह व्यक्ति या कंपनी गवाह के तौर पर किन्हीं दो सम्मानित लोगों को बुला सकती है. मेडिकल इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को भी बुलाया जा सकता है.
घर में मौजूद लोगों के अधिकार
जहां छापेमारी की जा रही है, अगर वहां बच्चें हैं और उन्हें स्कूल जाना है, तो उनके बैग की जांच कर उन्हें स्कूल भेजा जाता है. साथ ही घर या परिसर में मौजूद लोगों को नियमित और समय पर खाना खाने से भी रोका नहीं जा सकता.
कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद संबंधित व्यक्ति या कंपनी को स्टेटमेंट की एक कॉपी लेने का अधिकार है. वो स्टेटमेंट ही उसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है.
तोड़-फोड़ करने की छूट
छापेमारी के दौरान अगर आयकर विभाग की टीम को कुछ बड़ी गड़बड़ी के सबूत मिलते हैं या उन्हें शक होता है तो वहां मौजूद आयकर अधिकारी सख्त लहजा अपना सकते हैं और वे उस घर, परिसर या दफ्तर में सबूतों और जानकारी को हसिल करने के लिए वहां लगे ताले या दीवारों तक को तोड़ सकते हैं.