क्या कभी इंडोनेशिया से मलेशिया तक फैले थे हिंदू देश – कैसे बदले मुस्लिम कंट्री में
एक जमाना था जब भारत से निकलकर हिंदू धर्म दक्षिण एशियाई देशों में फैलने लगा था. इंडोनेशिया से लेकर मलेशिया और थाईलैंड तक हिंदू प्रभाव बढ़ने लगा. ये समय भारत में पल्लव राजाओं का था. चौथी सदी से लेकर नौवीं सदी के बीच कई दक्षिण एशियाई देशों में हिंदू धर्म का असर देखा जाने लगा. कई देशों में राजाओं से लेकर प्रजा तक हिंदू धर्म अपनाने लगी. 10वीं सदी के बाद हालात बदलने लगे. फिर इनमें से ज्यादातर देश मुस्लिम कंट्री में बदल गए.
15वीं शताब्दी से पहले मलेशिया के निवासी या तो हिंदू-बौद्ध थे या स्वदेशी धर्मों का पालन करते थे. लगभग 1,700 साल पहले भारत के साथ व्यापार के माध्यम से हिंदू धर्म मलेशिया में फैल गया.
7वीं से 13वीं शताब्दी के बीच मलेशिया में हिंदू संस्कृति का विकास हुआ. लंगकासुका का प्राचीन हिंदू-बौद्ध साम्राज्य मलय प्रायद्वीप में स्थित था. यह नाम मूल रूप से संस्कृत है. आज, मलेशिया की 9% आबादी तमिल है, उनमें से अधिकांश हिंदू धर्म का पालन करते हैं, बहुसंख्य आबादी मुस्लिमों की है.
इंडोनेशिया कैसे हो गया हिंदू से इस्लाम देश
इस्लाम के आगमन से पहले इंडोनेशिया में हिंदू धर्म प्रमुख धर्म था. इंडोनेशिया में हिंदू धर्म पहली शताब्दी में भारतीय व्यापारियों, विद्वानों, पुजारियों और नाविकों के माध्यम से पहुंचा.7वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हिंदू-बौद्ध साम्राज्यों ने उस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर शासन किया, जो अब इंडोनेशिया है. हिंदू धर्म का शैव संप्रदाय 5वीं शताब्दी ईस्वी में जावा में विकसित होना शुरू हुआ. 5वीं से 13वीं शताब्दी के बीच, जावा, सुमात्रा और कालीमंतन में कई महत्वपूर्ण हिंदू साम्राज्य स्थापित हुए. द्वीपसमूह का अंतिम प्रमुख साम्राज्य मजापहित (1293-1500) में हिंदू, बौद्ध धर्म और जीववादी मान्यताओं का मिश्रण था.हिंदू धर्म आज भी इंडोनेशिया के 06 आधिकारिक धर्मों में एक है. इंडोनेशिया 05 लाख से अधिक हिंदू निवासियों और नागरिकों वाले देशों में एक है, बाली में 87 फीसदी हिंदू हैं.
इंडोनेशिया का बाली अब भी हिंदू बहुल
अब इंडोनेशिया की 27 करोड़ आबादी में से 86.7 फीसदी मुस्लिम हैं तो 1.74 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म मानते हैं. बाली द्वीप में हिंदू बहुसंख्यक हैं. माना जाता है कि यहां 90 फीसदी हिंदू रहते हैं. इंडोनेशिया में हिंदू धर्म, औपचारिक रूप से आगामा हिंदू धर्म के रूप में जाना जाता है. इस धर्म में जाति व्यवस्था लागू नहीं की गई.
कंबोडिया की बड़ी आबादी कभी शैव भक्त थी
कंबोडिया ऐसा देश था, जहां एक जमाने में शिव की पूजा करने वाले हिंदुओं की बहुलता थी. कंबोडिया में हिंदू धर्म 100 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी के बीच फ़नान साम्राज्य के दौरान खूब फलाफूला. तब राजा और प्रजा अमूमन हिंदू थी. सभी विष्णु और शिव की पूजा करते थे. कंबोडिया का जन्म ही एक समय में बहुत शक्तिशाली रहे हिंदू एवं बौद्ध खमेर साम्राज्य से हुआ.
अफगानिस्तान में राज करते थे हिंदू राजा
अफ़ग़ानिस्तान 6वीं सदी तक हिंदू और बौद्ध बहुल क्षेत्र था. इस क्षेत्र में अलग-अलग क्षेत्रों में हिंदू राजा राज करते थे. 11वीं सदी में ज़्यादातर हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया या मस्जिदों में बदल दिया गया. कल्लार, सामंतदेव, अष्टपाल, भीम, जयपाल, आनंदपाल, भीमपाल, त्रिलोचनपाल अफगानिस्तान के प्रमुख हिंदू राजाओं के नाम हैं. अब अफ़ग़ानिस्तान में हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या 1000 के आसपास सिमट चुकी है. अफ़ग़ानिस्तान में इस्लाम 99फीसदी से ज़्यादा नागरिकों का धर्म है. लगभग 90फीसदी आबादी सुन्नी इस्लाम को मानने वाली है.
थाईलैंड कभी हिंदू देश नहीं रहा लेकिन असर जरूर रहा
बहुत से लोग मानते हैं कि थाईलैंड भी कभी हिंदू बहुल आबादी वाला देश था लेकिन ऐसा नहीं है. थाईलैंड कभी बहुसंख्यक हिंदू देश नहीं रहा लेकिन वहां हमेशा हिंदू धर्म का प्रभाव जरूर रहा. वहां हिंदू धर्म एक अल्पसंख्यक धर्म है, 84,400 हिंदू वहां रहते हैं लेकिन थाईलैंड में मजबूत हिंदू प्रभाव है. अलबत्ता ये देश बौद्ध धर्म मेजोरिटी वाला देश है. 1800 के दशक के अंत में तमिल और गुजराती आप्रवासी रत्न और कपड़ा उद्योगों में काम करने के लिए थाईलैंड चले गए. उसके बाद 1890 के दशक में पंजाब से सिखों और हिंदुओं दोनों वहां पहुंचे.
वियतनाम में कभी खासी हिंदू आबादी थी, जो सिमट चुकी है
वियतनाम को भी कभी उन देशों में माना जाता था, जिसे प्राचीन काल के ग्रेटर इंडिया के तहत देखा गया. हालांकि ये देश कभी हिंदू बहुल नहीं रहा. लेकिन इसका असर वहां जरूर बहुत रहा. अब भी वहां करीब 70 हजार चाम हिंदू रहते हैं. वियतनाम में ज़्यादातर लोग बौद्ध धर्म और देशी धर्म को मानते हैं. देशी धर्म में स्थानीय आत्माओं, देवताओं और देवी माँ की पूजा की जाती है. ये देशी धर्म हिंदू धर्म जैसा ही लगता है. अलबत्ता यहां 07 सदी या इससे पहले के हिंदू मंदिर जरूर हैं.
फिलीपींस में भी था असर
फिलीपींस में हिंदू धर्म का प्रभाव 9वीं शताब्दी के अंत तक था. 1989 में मिले लगुना कॉपरप्लेट शिलालेख से इसका पता चलता है कि 16वीं शताब्दी में यूरोपीय औपनिवेशिक साम्राज्यों के आगमन से पहले इंडोनेशिया के ज़रिए फिलीपींस में हिंदू धर्म का प्रभाव था. 13वीं शताब्दी में, श्रीविजय और मजापहित के ज़रिए यहां के लोगों को हिंदू और बौद्ध धर्म से परिचित कराया गया. उसके बाद जब मिशनरियां यहां पहुंचीं तो देश ईसाई धर्म बहुसंख्यक देश है. वैसे फिलीपींस में हिंदू धर्म के प्रभाव का पता इससे भी चलता है कि यहां 351 पुराने हिंदू मंदिर हैं तो बहुत से हिंदू मंदिर नष्ट हो गए.
मालदीव हिंदू चोल राजाओं के शासन में था
बारहवीं शताब्दी तक मालदीव हिंदू राजाओं के अधीन रहा. बाद में ये बौद्ध धर्म का भी केंद्र बना. यहां तमिल चोला राजा भी शासन कर चुके हैं. लेकिन उसके बाद ये धीरे धीरे मुस्लिम राष्ट्र में बदलता चला गया. इस्लाम ही मालदीव का शासकीय धर्म है. “एक गैर मुस्लिम मालदीव का नागरिक नहीं बन सकता”.ऐतिहासिक साक्ष्यों और किंवदंतियों के अनुसार मालदीव का इतिहास 2,500 वर्षों से अधिक पुराना है.
ऐतिहासिक साक्ष्यों और किंवदंतियों के अनुसार मालदीव का इतिहास 2,500 वर्षों से अधिक पुराना है. मालदीव में शुरुआती निवासी शायद गुजराती थे जो लगभग 500 ईसा पूर्व श्रीलंका पहुंचे और बस गए. वहां से कुछ मालदीव चले आए. मालदीव के पहले निवासी धेविस नाम से जाने जाने वाले लोग थे. वे भारत में कालीबंगा से आये थे. तांबे की प्लेटें जिन पर सौर राजवंश के मालदीव के पहले राजाओं का इतिहास दर्ज था, बहुत पहले ही खो गईं.
मालदीव अरबी व्यापारियों के प्रभाव में बदला
12वीं शताब्दी के बाद अरबी व्यापारियों के प्रभाव में यहां के राजा मुस्लिम बनने लगे. 06 इस्लामी राजवंशों की एक श्रृंखला शुरू हुई. उसके बाद जनता भी मुस्लिम होती गई. उसके बाद ये देश धीरे धीरे मुस्लिम देश में बदल गया.
श्रीलंका में भी कभी यही स्थिति थी
बौद्ध धर्म के आगमन से पहले श्रीलंका में हिंदू धर्म प्रमुख धर्म था. हिंदू धर्म का प्रसार शायद तमिलों के दक्षिण भारत से श्रीलंका में प्रवास के कारण हुआ. चोला साम्राज्य के दक्षिण भारतीय तमिलों के शासन ने श्रीलंका में हिंदू धर्म को समृद्ध होने का मौका दिया. श्रीलंका में एक समय हिंदुओं की आबादी का प्रतिशत 1881 में 21.51 फीसदी था, जो 1921 में 25 फीसदी के आसपास पहुंचा लेकिन अब ये घटकर 2012 में 12.58 फीसदी हो गया. हालांकि इसके कई कारण बताए जाते हैं.– अंग्रेजों द्वारा लाये गये गिरमिटिया मजदूर भारत लौट आए
– जुलाई 1983 – मई 2009 के बीच श्रीलंकाई गृहयुद्ध के कारण भी बड़े पैमाने पर तमिल हिंदुओं का पलायन हुआ
– 2012 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, श्रीलंका की जनसंख्या इस तरह है- 70.2% बौद्ध, 12.6% हिंदू, 9.7% मुस्लिम, 7.4% ईसाई.
भारत में सम्राट अशोक के शासनकाल में उसने बेटी को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जब श्रीलंका भेजा तो उसके बाद वहां की आबादी पर बौद्ध असर दिखाई देने लगा. उसके बाद से श्रीलंका बौद्ध देश में बदलने लगा. वैसे हमारे पुराणों के अनुसार प्राचीन समय में ये देश कुबेर द्वारा शासित था, जिसे फिर रावण द्वारा कब्जा कर लिया. जब राम ने यहां जीत हासिल की तो विभीषण को राजपाट सौंप दिया गया.