बेटी के नाम पर नाक भौं सिकोड़ने वाले परिवार क्या जानते हैं इसके पीछे की असल हकीकत?
हमारे समाज में बेटा या बेटी के लिए हमेशा से महिला को ही जिम्मेदार माना गया है और समाज ने बेटे के लालच में महिला को बच्चे पैदा करने वाली मशीन ही समझा है तभी तो हर बार बेटी होने पर किसी न किसी महिला को प्रताड़ित किया गया है.
आप सोचते होंगे कि हम इस बात से उबर आए हैं लेकिन आजादी के इतने साल भी महिला बेटों को पैदा करने के चक्कर में गुलामी झेल रही हैं. क्या वाकई में बेटी पैदा करने के लिए एक महिला जिम्मेदार होती है पुरुष नहीं.
साइंस के मुताबिक
लेकिन सच्चाई इससे काफी परे है क्योंकि बच्चे का बाइलॉजिक्ल सेक्स निर्धारण क्रोमोजोम से होता है जो उसे उसके पिता से मिलता है. महिलाओं में जहां दो एक्स क्रोमोजोम होते हैं वही पुरुषों में एक एक्स और एक वाई क्रोमोजोन होता है. जब महिला का एक्स क्रोमोजोम पुरुष के एक्स क्रोमोजोम से मेल करता है तो लड़की पैदा होती है वहीं जब महिला का एक्स क्रोमोजोम पुरुष के वाई क्रोमोजोम से मेल खाता है तो लड़का पैदा होता है. साइंस के हिसाब से तो पुरुष के क्रोमोजोम ही लिंग का निर्धारण करते हैं न कि महिला के.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट्स की बात की जाए तो वो भी यही बात दोहराते हैं कि बच्चे का लिंग निर्धारण पिता के क्रोमोजोम से होता है न कि मां के. सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शारदा जैन कहती हैं कि बच्चे का बाइलॉजिकल सेक्स, सेक्स क्रोमोजोम से निर्धारित होता है जो महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म में होता है. महिला के अंडे सिर्फ एक्स क्रोमोजोम रिलीज करते हैं लेकिन पुरुष के क्रोमोजोम एक्स और वाई क्रोमोजोम रिलीज करते हैं.