क्या होती है साइबर किडनैपिंग? बच्चे को छोड़ने के लिए मांगी 66 लाख की फिरौती

क्या होती है साइबर किडनैपिंग? बच्चे को छोड़ने के लिए मांगी 66 लाख की फिरौती

आजतक आपने किडनैपिंग के कई मामलों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी साइबर किडनैपिंग के बारे में सुना है? आप में से ज्यादातर लोग कहेंगे कि आखिर साइबर किडनैपिंग कैसे पॉसिबल है. दरअसल हाल में अमेरिका के यूटा शहर से एक साइबर किडनैपिंग का मामला सामने आया है. इसमें एक चीनी स्टूडेंट को वर्चुअली किडनैप कर लिया और उसके परिवार से 66.62 लाख रुपये (80 हजार डॉलर) की फिरौती मांगी गई है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 17 साल का काई झुआंग नाम का बच्चा 20 दिसंबर से लापता था. ये बच्चा पुलिस को बर्फीले पहाड़ों पर मिल गया है. पुलिस के मुताबिक, झुआंग को असल में किडनैप नहीं किया गया था. उसने खुद को किडनैपर्स के कहने पर आईसोलेट कर लिया था. यानी वो खुद वर्चुअल किडनैपर्स के कहने पर पहाड़ों पर रहने के लिए चला गया था.

साइबर किडनैपिंग क्या होती है?
ये एक तरह से फेक किडनैपिंग हो सकती है. इसमें किसी भी शख्स से फिरौती लेने के लिए उसके किसी करीबी की फेक किडनैपिंग की जाती है. इस मामले में शख्स के केवल हाथ-पैर बांधकर खीचें गए फोटो-वीडियो से बिल्कुल असली किडनैपिंग सीन बनाया जाता है. इसके बाद उसके घर वालों से फिरौती की डिमांड की जाती है. जैसे काई झुआंग के मामले में हुआ कि केवल किडनैपिंग की नाटक किया गया असल में कोई किडनैपिंग नहीं हुई.

इसमें विक्टिम को जिस शख्स की फोटो या वीडियो दिखाई जाती है वो फेक होती है और उसकी आवाज भी डीप फेक टेक्नोलॉजी से कॉपी की जाती है. इसके बाद इस आवाज को ही इस्तेमाल किया जाता है.

क्या था काई झुआंग का मामला
काई झुआंग को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्काईप पर साइबर किडनैपर्स ने कॉन्टैक्ट किया था. किडनैपर्स ने उसे भरोसा दिलाया की उसके पैरेंट्स की जान को खतरा है. इसके अलावा किडनैपर्स ने कहा कि अगर अपने पैरेंट्स को बचाना चाहते हो तो वैसा करो जैसा हम कहते हैं. इसके बाद किडनैपर्स ने उस बच्चे से उसकी कुछ ऐसी फोटो मांगी, जिसमें उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे. जिनमें वो किसी आईसोलेटिड जगह पर दिख रहा हो. इसके बाद किडनैपर्स ने बच्चे की फोटो को उसके घर वालों को भेज दिया और फिरौती की डिमांड की.

खुद को ऐसे बचाएं
साइबर किडनैपिंग से बचने के लिए किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल को उठाने को बचें. या फिर उस नंबर को वेरिफाई कर के ही जवाब दें. ध्यान रहे कि साइबर क्रीमिनल आपके जान पहचान के दोस्त या परिवार का सदस्य बनकर भी कॉल करते हैं. ऐसे कॉल से सावधान रहें.

स्कैमर अपनी कॉल को ज्यादा भरोसमंद बनाने के लिए आपके द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए डेटा का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. ऐसे में आप अपने और अपने बच्चों के बारे में ऑनलाइन जो कुछ भी शेयर करते हैं, उसमें सावधानी बरतें, खासकर बच्चों के नाम, रहने की जगह, घर का एड्रैस, पड़ोस या बच्चों के स्कूल की फोटो शेयर करने से बचें. स्कूल के नाम से भी बच्चे के बारे में डिटेल्स आसानी से निकाली जा सकती है और बच्चे तक पहुंचा जा सकता है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *