नीतीश कुमार के पास और क्या हैं विकल्प ? बिहार की राजनीति में उठा-पटक जारी
सूत्रों का कहना है कि नई सरकार के गठन को लेकर सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. हो सकता है कि वह सिर्फ आरजेडी के मंत्रियों को अपनी सरकार से हटाएं और उनकी जगह बीजेपी के विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिला दें. हालांकि अभी ये तमाम बातें सिर्फ अटकलों पर ही आधारित है.
नीतीश कुमार 2013 के बाद से भाजपा, कांग्रेस और/या लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल के साथ जाकर समय समय अपनी सरकार बनाते रहे हैं. उन्होंने इतनी बार पाला बदला है कि अब उन्हें ‘पलटू राम’ के नाम से भी जाना जाने लगा है.
2022 में भाजपा से अलग होने के बाद, उन्होंने 2024 के चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ दल का संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी. उनकी ही पहल पर INDIA गठबंधन भी बनाया गया था.
एक बार फिर नीतीश कुमार के पाला बदलने की अटकलें उस वक्त लगनी शुरू हो गई थी जब भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत के सर्वोच्च नागरिक
पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया.
कर्पूरी ठाकुर एक प्रतिष्ठित समाजवादी नेता थे जो 1970 के दशक में दो बार मुख्यमंत्री रहे और उन्हें राज्य की विवादास्पद शराब निषेध नीति को लागू करने का श्रेय दिया जाता है.
नीतीश कुमार गणतंत्र दिवस पर अपने डिप्टी तेजस्वी यादव के बिना बिहार के राज्यपाल के आवास पर पहुंचे थे. जिससे उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सबकुछ ठीक ना चलने की बात सामने आई थी.
नीतीश कुमार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने मौजूदा घटनाक्रम को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि राजनीति में कोई दरवाजा बंद नहीं होता. जरूरत पड़ने पर दरवाजा खोला जा सकता है.
नीतीश कुमार के करीबी नेताओं के अनुसार, 13 जनवरी को INDIA गठबंधन की बैठक निर्णायक मोड़ पर थी. उस बैठक में संयोजक के तौर पर नीतीश कुमार का नाम सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने प्रस्तावित किया था