क्या ध्रुव जुरेल के आने से टेस्ट में विकेटकीपर की तलाश खत्म हो गई, धोनी के संन्यास के बाद से जारी है खोज
साल 2014 में महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से भारतीय टीम में कोई भी विकेटकीपर अपनी परमानेंट पोजिशन हासिल नहीं कर पाया। शुरू में ऋधिमान साहा ने ये जिम्मेदारी निभाई, इसके बाद ऋषभ पंत उनके एक्सीडेंट के बाद से कोना भरत को यह रोल मिला। मगर वह भी बल्ले के साथ प्रदर्शन करने में नाकामयाब रहे। मौजूदा विवाद को देखकर लगता है कि ईशान किशन को अब वापस टीम इंडिया में आने में लंबा समय लगेगा, ऐसे में चयनकर्ताओं ने ध्रुव जुरेल पर भरोसा जताया और अपनी पहली ही टेस्ट सीरीज में वह यूपी का यह विकेटकीपर बल्लेबाज प्रभावित कर गया। अपने करियर के सिर्फ दूसरे ही टेस्ट में भारतीय टीम के लिए संकटमोचक बनते हुए, दोनों पारियों में मैच विनिंग पारी खेली, उनके खेल से लगता है कि शायद वह टेस्ट क्रिकेट में विकेटकीपर की तलाश खत्म कर देंगे।
ध्रुव जुरेल से क्यों बढ़ी उम्मीदें?
भारत में बैजबॉल को फेल करने में युवा ब्रिगेड ने सूत्रधार की भूमिका निभाई। सरफराज खान, ध्रुव जुरेल और आकाश दीप ने मौके को बखूबी भुनाया। जुरेल ने चौथे टेस्ट की पहली पारी में 90 और दूसरी में नाबाद 39 रन बनाए और प्लेयर ऑफ द मैच बने। ध्रुव ने 23 साल और 33 दिन की उम्र में यह अवॉर्ड जीता। टेस्ट में सबसे कम उम्र में प्लेयर ऑफ द मैच बनने वाले वह दूसरे सबसे युवा भारतीय विकेटकीपर बने। रिकॉर्ड अजय रात्रा के नाम है जो साल 2002 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 20 साल और 148 दिन की उम्र में प्लेयर ऑफ द मैच बने थे। ओवरऑल जुरेल इस मामले में पांचवें सबसे युवा विकेटकीपर बैटर हैं। यही नहीं, ध्रुव ने अपने दूसरे ही टेस्ट में प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड हासिल कर लिया। धोनी ने 90 टेस्ट के करियर में यह अवॉर्ड केवल दो बार हासिल किया था। जाहिर है ध्रुव से उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।